स्थापना दिवस पर सभी करें निश्शुल्क गर्तागली की सैर

जागरण संवाददाता उत्तरकाशी राज्य स्थापना दिवस को उत्तराखंड महोत्सव के रूप में मनाने को ले

By JagranEdited By: Publish:Sun, 07 Nov 2021 06:14 PM (IST) Updated:Sun, 07 Nov 2021 10:25 PM (IST)
स्थापना दिवस पर सभी करें  निश्शुल्क गर्तागली की सैर
स्थापना दिवस पर सभी करें निश्शुल्क गर्तागली की सैर

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : राज्य स्थापना दिवस को उत्तराखंड महोत्सव के रूप में मनाने को लेकर जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों की बैठक ली। नौ नवंबर को गर्तागली सभी के लिए निश्शुल्क खुलेगी, जबकि अन्य दिनों 150 रुपये शुल्क होगा। इसके अलावा जनपद में एक सप्ताह तक स्वच्छता अभियान, खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा।

जिलाधिकारी ने कहा कि राज्य स्थापना दिवस के अवसर जनपद मुख्यालय के अलावा तहसील स्तर पर भी कार्यक्रम आयोजित कर राज्य आंदोलनकारियों को सम्मानित किया जाएगा। सभी नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों में वृहद रूप से सफाई अभियान चलाने के निर्देश अधिशासी अधिकारियों को दिए। नगर निकायों से लगी बड़ी ग्राम सभाओं में व्यापक स्तर पर सफाई अभियान चलाने को कहा जिसकी मानिटरिग खंड विकास अधिकारियों को सौंपी गई। स्वास्थ्य विभाग को आठ नवम्बर से 10 नवम्बर तक कोविड-19 की दूसरी डोज के लिए जनपद के नागरिकों को जागरूक करने के निर्देश दिए। दोनों दिन मेघा वैक्सीनेशन अभियान चलाने को कहा। पर्यटन विभाग साइकिल रैली, खेल विभाग क्रिकेट, वालीबाल व क्रास कंट्री दौड़ का आयोजन करेगा। उप निदेशक गंगोत्री नेशनल पार्क ने बताया कि साहसिक पर्यटन के लिए प्रसिद्ध गर्तांगली को राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर पर्यटकों के लिए निश्शुल्क खोली जाएगी। इस मौके पर पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा, मुख्य विकास अधिकारी गौरव कुमार, अपर जिलाधिकारी तीर्थपाल सिंह, सीएमओ डा. केएस चौहान, उप जिलाधिकारी चतर सिंह चौहान, मीनाक्षी पटवाल, मुख्य शिक्षाधिकारी विनोद प्रसाद सेमल्टी, परियोजना अधिकारी संजय सिंह, जिला पूर्ति अधिकारी मनोज सोनी, जिला आपदा प्रबन्धन अधिकारी देवेन्द्र पटवाल आदि मौजूद थे। रोमांचकारी है गर्तांगली

उत्तरकाशी : समुद्र तल से 10,500 फीट की ऊंचाई पर एक खड़ी चट्टान को काटकर बनाए गए इस सीढ़ीनुमा मार्ग से गुजरना बहुत ही रोमांचकारी अनुभव है। 140 मीटर लंबा यह सीढ़ीनुमा मार्ग 17वीं सदी में पेशावर से आए पठानों ने चट्टान को काटकर बनाया था। 1962 से पहले भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक गतिविधियां संचालित होने के कारण नेलांग घाटी दोनों तरफ के व्यापारियों से गुलजार रहती थी। भारत-चीन युद्ध के बाद गर्तांगली से व्यापारिक आवाजाही बंद हो गई। हालांकि, सेना की आवाजाही होती रही। भैरव घाटी से नेलांग तक सड़क बनने के बाद 1975 से सेना ने भी इस रास्ते का इस्तेमाल करना बंद कर दिया। देख-रेख के अभाव में इसकी सीढि़यां और किनारे लगाई गई लकड़ी की सुरक्षा बाड़ जर्जर होती चली गई। लेकिन, गत मार्च माह में गर्तांगली के पुनरुद्धार का कार्य शुरू हुआ। अप्रैल माह में बर्फबारी होने के कारण कार्य धीमी गति से चला। लेकिन जून माह में कार्य ने रफ्तार पकड़ी और जुलाई के अंतिम सप्ताह में कार्य पूरा हो गया था। 18 अगस्त को गर्तांगली को पर्यटन गतिविधि के लिए भी खोल दिया गया है। यहां हर रोज बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं।

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