प्रवासी अब हो गए गांववासी, स्वरोजगार से संवार रहे आर्थिकी; ये है उनकी कमाई का जरिया

लॉकडाउन के दौरान शहरों में रह रहे और होटल और कंपनियों में नौकरी कर रहे प्रवासियों को गांव लौटना पड़ा था। इससे वीरान गांव गुलजार हो गए थे। अब स्थिति सामान्य हुई तो इन प्रवासियों में अधिकांश रोजगार की तलाश में वापस लौट गए हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Wed, 24 Mar 2021 01:31 PM (IST) Updated:Wed, 24 Mar 2021 01:31 PM (IST)
प्रवासी अब हो गए गांववासी, स्वरोजगार से संवार रहे आर्थिकी; ये है उनकी कमाई का जरिया
प्रवासी अब हो गए गांववासी, स्वरोजगार से संवार रहे आर्थिकी।

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। लॉकडाउन के दौरान शहरों में रह रहे और होटल और कंपनियों में नौकरी कर रहे प्रवासियों को गांव लौटना पड़ा था। इससे वीरान गांव गुलजार हो गए थे। अब स्थिति सामान्य हुई तो इन प्रवासियों में अधिकांश रोजगार की तलाश में वापस लौट गए हैं, लेकिन कुछ ऐसे हैं जो अपने गांव छोड़कर अब पराये शहर में नहीं लौटना चाहते हैं। जो गांव में मनरेगा मजदूरी से लेकर अपने स्वरोजगार में जुट गए हैं।

चिन्यालीसौड़ के ग्राम पंचायत खालसी निवासी बैशाखू लाल ने 35 वर्ष पहले गांव छोड़ दिया था। अपनी पत्नी राम्प्यारी सहित 13 सदस्यीय परिवार के साथ फिरोजपुर पंजाब रह रहा था। लॉकडाउन के दौरान बैशाखू लाल परिवार के साथ गांव लौट आया। गांव में कर्ज लेकर मकान बनाया।

गांव के प्रधान ने बैशाखू लाल का जॉब कार्ड बनाया। मनरेगा के तहत परिवार को रोजगार दिया। अब स्थिति सामन्य हुई तो बैशाखू लाल के दो बेटे रोजगार की तलाश में पंजाब चले गए हैं। बैशाखू लाल अपनी पत्नी, एक बेटा, दो बहू और नातियों के साथ गांव में ही रह रहा है और गांव में ही रहना चाहता है।

कन्सेरु गांव के धीरज ने मशरूम को बनाया कमाई का जरिया

बड़कोट तहसील के कन्सेरु गांव के धीरज राणा चार वर्षों से राजस्थान के बीकानेर में एक होटल में काम करते थे। लॉकडाउन के दौरान किसी तरह से धीरज राणा राजस्थान से गांव पहुंचे। साथ ही गांव में स्वरोजगार करने की ठानी। धीरज राणा ने अपने पौराणिक घर के प्रथम मंजिल में उद्यान विभाग बड़कोट की सहायता से मशरूम उत्पादन शुरू किया। धीरज राणा प्रति दिन चार सौ से लेकर पांच सौ रुपये की मशरूम बेच रहा रहा है।

पहले दिल्ली में करते थे नौकरी अब गांव में ही शुरू किया व्यवसाय

चिन्याली गांव के कमल राणा अशोक नगर दिल्ली में नौकरी करते थे। लॉकडाउन में अपने परिवार के साथ लौट आए। गांव लौटने पर कमल राणा ने संकल्प लिया कि वे पहाड़ में ही अपना व्यवसाय करेंगे। इसके लिए कमल राणा मुख्यमंत्री स्वरोजागार योजना के तहत मुद्रा लोन लिया। जिससे उत्तरकाशी के जोशियाड़ा में दुकान संचालित की। कमल राणा प्रत्येक माह चार लाख से अधिक का व्यवसाय कर रहे हैं तथा अपने साथ दो युवकों को भी रोजगार दे रहे हैं।

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