जिंदगी बचाने के लिए निम को चाहिए एक हेलीपैड

शैलेंद्र गोदियाल उत्तरकाशी नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी सर्च एंड रेस्क्यू का कोर्स

By JagranEdited By: Publish:Sun, 03 Oct 2021 03:00 AM (IST) Updated:Sun, 03 Oct 2021 03:00 AM (IST)
जिंदगी बचाने के लिए निम को चाहिए एक हेलीपैड
जिंदगी बचाने के लिए निम को चाहिए एक हेलीपैड

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी : आपदा में रेस्क्यू टीम के लिए समय की क्या अहमियत है इसे नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) से बेहतर कौन जानता है। यही वजह है कि शुक्रवार को सुबह 11 बजे सूचना मिली कि माउंट त्रिशूल पर नौ सेना के पांच पर्वतारोही और एक पोर्टर एवलांच की चपेट में आए हैं तो टीम 15 मिनट में पूरी तरह से तैयार थी। बावजूद इसके रवानगी दोपहर बाद दो बजे हो सकी। संस्थान के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट कहते हैं कि 'निम के परिसर में एक हेलीपैड होना ही चाहिए। प्रस्ताव दिया गया है। फैसला शासन को करना है।'

असी गंगा घाटी और केदारनाथ आपदा हो या शिवलिग चोटी पर फंसे पर्वतारोहियों को बचाने के लिए अभियान, निम ने सभी जगह महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कर्नल अमित बिष्ट कहते हैं कि 'जब बात जिंदगी की हो तो एक-एक सेकेंड महत्वपूर्ण होता है।' वह बताते हैं कि निम के भवन से मातली स्थित आइटीबीपी हेलीपैड की दूरी 12 किलोमीटर है। जिसे तय करने में आधा घंटा लग जाता है। आपदा के दौरान पुल बह जाते हैं और कई सड़कें भी बाधित हो जाती हैं। ऐसे में यह समय आधा घंटे से भी अधिक हो सकता है। कर्नल बताते हैं कि संस्थान लंबे समय से हेलीपैड निर्माण की मांग कर रहा था। तीन वर्ष पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हेलीपैड बनाने की घोषणा की तो संस्थान ने जिला प्रशासन के माध्यम से शासन को प्रस्ताव भी भेज दिया। अभी मंजूरी का इंतजार है। वह बताते हैं कि आपदा के समय त्वरित रेस्क्यू अभियान चलाने के लिए हेलीपैड और हेलीकॉप्टर जरूरी संसाधन हैं। ऐसी स्थिति में निम को हेलीकॉप्टर के लिए दूसरी एजेंसियों पर निर्भर रहना पड़ता है।

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सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स कराने वाला एशिया का पहला संस्थान

निम सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स कराने वाला एशिया का पहला संस्थान है। संस्थान के कुशल प्रशिक्षकों ने बचाव में दल का नेतृत्व करते हुए उच्च हिमालयी क्षेत्र में कई सफल अभियान चलाए हैं। संस्थान के पास प्रशिक्षकों को हिमस्खलन और क्रेवास (बर्फ में पड़ी दरारें) में फंसे व्यक्तियों को निकालने, वैकल्पिक रास्ते बनाने तथा आपदा में फंसे व्यक्तियों को निकालने का अच्छा अनुभव है।

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