डाबरकोट के साथ नए भूस्खलन जोन बने हैं नासूर
धरासू बैंड से यमुनोत्री धाम को जोड़ने वाले यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर आलवेदर रोड के निर्माण से कई भूस्खलन जोन बने हैं।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : धरासू बैंड से यमुनोत्री धाम को जोड़ने वाले यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर आलवेदर रोड के निर्माण से कई भूस्खलन जोन बने हैं। धरासू बैंड से लेकर जानकी चट्टी तक 10 भूस्खलन जोन सबसे अधिक सक्रिय हैं, जबकि 2017 में सक्रिय हुए डाबरकोट भूस्खलन जोन का अभी तक उपचार नहीं हुआ है। इसके साथ ही इस भूस्खलन जोन से मुक्ति पाने के लिए सुरंग का निर्माण भी शुरू नहीं हुआ है। जबकि इस भूस्खलन जोन में राजमार्ग को सुचारू रखने व वैकल्पिक मार्ग बनाने में एनएचए और लोनिवि ने डाबरकोट में ढाई करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च कर दी है।
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग धरासू बैंड से शुरू होता है। धरासू से यमुनोत्री के अंतिम सड़क पड़ाव जानकीचट्टी तक इस राजमार्ग की दूरी 106 किलोमीटर है। इस राजमार्ग पर अधिकांश हिस्सों में आलवेदर रोड का निर्माण चल रहा है। लेकिन, किसाला, कुथनौर, पाली गाड़, खरादी, ओरछा बैंड, दोबाटा, ब्रह्मखाल, सिल्क्यारा और धरासू बैंड के पास आलवेदर रोड निर्माण के दौरान भूस्खलन जोन बने हैं। इन भूस्खलन प्रभावित इलाकों में चार माह के अंतराल में यमुनोत्री राजमार्ग करीब चार सौ घंटे तक बंद रहा है। किसाला के पास 20 मई से लेकर 23 मई तक राजमार्ग लगातार 95 घंटे तक बंद रहा। खरादी और धरासू बैंड के पास भी आए दिन राजमार्ग बाधित हो रहा है। आलवेदर रोड निर्माण के साथ इन भूस्खलन जोन के ट्रीटमेंट की बड़ी जरूरत है।
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ढाई करोड़ खर्च के बाद भी सक्रिय है डाबरकोट
उत्तरकाशी : यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर यमुनोत्री धाम से 35 किलोमीटर पहले डाबरकोट में अगस्त 2017 के दूसरे सप्ताह पहाड़ी से भूस्खलन शुरू हुआ था। 11 सितंबर 2017 से लेकर 3 अक्टूबर 2017 तक लगातार भूस्खलन के कारण यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग बंद रहा। तब से लेकर अभी तक यह भूस्खलन नासूर बना हुआ है। हल्की सी बारिश होने पर ही डाबरकोट की पहाड़ी से पत्थरों की बरसात होने लगती है। अभी तक डाबरकोट भूस्खलन जोन में कई लोग घायल हो चुके हैं। 17 जुलाई 2018 को तत्कालीन डीएम डा. आशीष चौहान व तत्कालीन एसपी ददन पाल भूस्खलन जोन में फंसे थे, जिन्हें बड़कोट के तत्कालीन एसओ विनोद थपलियाल व पुलिस के वाहन चालक ने बचाया था। जून 2018 से लेकर अक्टूबर 2018 तक यमुनोत्री राजमार्ग डाबरकोट के पास 1200 घंटे से अधिक समय तक बंद रहा। करीब ढाई करोड़ खर्च करने के बाद भी डाबरकोट में सात सौ मीटर लंबे भूस्खलन जोन का ट्रीटमेंट नहीं हो पाया है। हल्की सी बरसात होने पर यह डेंजर जोन सक्रिय हो जाता है, जिससे यमुना घाटी में 20 से अधिक गांव कट जाते हैं।
इस भूस्खलन जोन क्षेत्र में आलवेदर रोड के तहत करीब चार सौ मीटर लंबी सुरंग बनाने का प्रस्ताव है। लेकिन, अभी तक सुरंग की डीपीआर तक नहीं बनी है।
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यमुनोत्री क्षेत्र में कुछ हिस्सों में पहाड़ी काफी कमजोर है। इसलिए कुछ स्थानों पर भूस्खलन हो रहा है। उन स्थानों पर ट्रीटमेंट किया जा रहा है। डाबरकोट में सुरंग निर्माण को लेकर डीपीआर तैयार की जा रही है। डीपीआर तैयार करने में छह माह का समय लगेगा, जिसके बाद निविदा प्रक्रिया शुरू होगी।
-राजेश कुमार पंत, अधिशासी अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, बड़कोट खंड