मस्ताड़ी गांव में घर,आंगन और रास्तों में आई दरारें

जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भटवाड़ी ब्लाक के अंतर्गत मस्ताड़ी गांव की तीन सौ की आबादी खतरे की जद में है। गांव में घर आंगन से लेकर खेत और रास्तों तक दरारें उभर रही है। तो कहीं पानी के स्त्रोत फूट रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 10:58 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 10:58 PM (IST)
मस्ताड़ी गांव में घर,आंगन और रास्तों में आई दरारें
मस्ताड़ी गांव में घर,आंगन और रास्तों में आई दरारें

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी : जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भटवाड़ी ब्लाक के अंतर्गत मस्ताड़ी गांव की तीन सौ की आबादी खतरे की जद में है। गांव में घर आंगन से लेकर खेत और रास्तों तक दरारें उभर रही है। तो कहीं पानी के स्त्रोत फूट रहे हैं।

दरअसल मस्ताड़ी गांव में दरारें पड़ने और भूस्खलन होने की घटना 1991 के भूकंप से शुरू हो गई थी। वर्ष 1997 में गांव का भूविज्ञानियों ने सर्वे भी किया। गांव को विस्थापित और सुरक्षात्मक कार्य करने के सुझाव भी दिए, लेकिन 24 साल बाद गांव का विस्थापन तो दूर सुरक्षात्मक कार्य भी नहीं किए गए।

गांव में करीब 50 परिवार निवास करते हैं, इन्होंने पाई-पाई जमा कर जो मकान बनाए थे उन मकानों में जगह-जगह दरारें पड़ रही है। अधिकांश स्थानों में जमीन नीचे बैठ रही है। जिससे मकान की फाउंडेशन और पेड़ पौधे भी अपना स्थान छोड़ रहे हैं। गांव के प्रधान सत्यनारायण सेमवाल कहते हैं कि गांव में एक भी घर रहने लायक नहीं है। तेज बारिश होते ही दरारों में जमीन के अंदर से पानी के बहाव की तेज आवाज आनी शुरू हो जाती है। एक परिवार को गोशाला में सोना पड़ रहा है। घरों के अंदर पानी के स्त्रोत फूट गए हैं। पूर्व प्रधान खिमानांद सेमवाल कहते हैं कि 1997 में वे गांव के प्रधान थे। तब भी दो घर भूस्खलन से जमीदोज हुए थे। 27 सितंबर 1997 को भूविज्ञानियों की टीम निरीक्षण के लिए गांव आयी। जिसमें भूविज्ञान डीपी शर्मा ने अपनी रिपोर्ट दी थी तथा गांव को विस्थापित करने का सुझाव दिया। तत्कालीन जिलाधिकारी ने कोटियाल गांव के पास भूमि भी चयनित की थी। लेकिन आज तक विस्थापन नहीं हुआ है।

भूविज्ञानियों की रिपोर्ट में

उत्तरकाशी : मस्ताड़ी गांव में भूधसांव और और दरारें वर्षा काल में ही बनती हैं। इन दरारों का कारण भूमिगत जल तथा तेज ढलान भूमि का धंसाव है। प्राचीन काल में हुए भूस्खलन के जमे मलबे से बना है। अधिक बारिश होने पर जल इसी भूमि में समा जाता है। इसी भूजल का एक स्त्रोत गांव में मौजूद है। पानी के स्त्रोत से लेकर गांव के ऊपर की पहाड़ी तक की भूमि भूजल से अत्यधिक नम है। जिसके कारण जगह-जगह भूमि धंसाव से ग्रसित है।

ग्रामीणों ने रोका था सीएम का काफिला

उत्तरकाशी : गत 21 जुलाई को जब मुख्यमंत्री आपदा प्रभावित कंकराड़ी गांव से लौट रहे थे तो रास्ते में ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री का काफिला रोका। साथ ही गांव के विस्थापन की मांग फिर से उठायी। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी दिया। जिस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फिर से भूविज्ञानियों से निरीक्षण कराने और उचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया।

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