कोरोना काल में जागी भविष्य की उम्मीद

कोरोना काल के कुछ ऐसे अनुभव भी मिले हैं जिनसे वर्तमान तो खुशहाल हुआ ही और भविष्य के लिए उम्मीदें भी जागी हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 03:00 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 03:00 AM (IST)
कोरोना काल में जागी भविष्य की उम्मीद
कोरोना काल में जागी भविष्य की उम्मीद

तिलकचंद रमोला, नौगांव

कोरोना काल के कुछ ऐसे अनुभव भी मिले हैं, जिनसे वर्तमान तो खुशहाल हुआ ही और भविष्य के लिए उम्मीदें भी जागी हैं। कोरोना काल में जब रोजगार के तमाम रास्ते बंद हो गए तो उत्तरकाशी जिले के नौगांव ब्लाक में ग्राम हिमरोल निवासी प्रगतिशील किसान भरत सिंह राणा के परिवार ने इस अवधि में हर्बल चाय से स्वरोजगार की अनूठी मिसाल पेश की। भरत सिंह राणा ने ग्रामीणों को रोजगार देकर औषधीय गुणों से भरपूर हर्बल चाय का उत्पादन कर रहे हैं। चाय की मांग स्थानीय बाजार से लेकर दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर से आ रही है। जिससे वे गत एक वर्ष से ग्राहकों तक आनलाइन भेज रहे हैं। चाय उत्पादन से आसपास के ग्रामीणों को भी रोजगार मिल रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फार लोकल अभियान को आगे बढ़ाते हुए किसान भरत सिंह राणा व उनके पुत्र जगमोहन सिंह राणा ने गांव में महिलाओं कर ओर से तैयार हर्बल चाय को स्थानीय बाजार से लेकर आनलाइन बाजार में बेचना गत वर्ष से शुरू किया। भरत सिंह राणा बताते हैं कि हर्बल चाय में सात तरह की औषधीय पौधों के फूल और पत्तियों का मिश्रण है। इनमें तुलसी, लेमनग्रास, तेजपत्ता, बुरांस के फूल, गुलाब के फूल, स्टेबिया, रोजमेरी शामिल है। जिनमें से अधिकांश औषधीय पौधे उनके बगीचे में हैं। जबकि गांव की महिलाएं भी रोजमेरी, तुलसी, लेमनग्रास, तेज पत्ता का उत्पादन कर रही हैं। जगमोहन सिंह राणा बताते हैं कि हर्बल चाय तैयार करने के लिए हिमरोल और आसपास के गांवों के ग्रामीणों रोजगार से जुड़े हुए हैं। जिनमें अधिकांश महिलाएं हैं। एक वर्ष के अंतराल में उन्होंने करीब चार लाख रुपये की हर्बल टी बेच दी है। वे कहते हैं कि कोरोना संक्रमण सहित आदि सर्दी-जुखाम में इस हर्बल चाय को उपभोक्ता लाभकारी मान रहे हैं। हिमरोल गांव की मनसा देवी, उपेंद्री देवी, असरफी, कमा देवी तथा श्वेता देवी का कहना है कि हर्बल चाय तैयार करने के कार्य में प्रतिदिन तीन सौ रुपये मिल जाते हैं। साथ ही जो उत्पाद उनके घरों में हैं वे भी बिक जाते हैं, जिससे महिलाओं की आर्थिकी में सुधार आया है।

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