हर्षिल के काश्तकारों ने किया सेब महोत्सव का विरोध

जागरण संवाददाता उत्तरकाशी हर्षिल घाटी के आठ गांवों में जंगली जानवर और तोतों के कार

By JagranEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 05:36 PM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 05:36 PM (IST)
हर्षिल के काश्तकारों ने किया सेब महोत्सव का विरोध
हर्षिल के काश्तकारों ने किया सेब महोत्सव का विरोध

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : हर्षिल घाटी के आठ गांवों में जंगली जानवर और तोतों के कारण सेब की फसल को खासा नुकसान पहुंचा है। विभागों से फसल सुरक्षा की गुहार के बाद भी विभागों ने सुध नहीं ली है। इससे क्षुब्ध होकर ग्रामीणों ने देहरादून में होने वाले सेब महोत्सव का विरोध किया तथा सेब महोत्सव के लिए हर्षिल घाटी के सेब देने से इन्कार किया। इस संबंध में काश्तकारों ने उद्यान अधिकारी और हर्षिल रेंज के रेंज अधिकारी को ज्ञापन दिया।

गत शुक्रवार को उपला टकनौर जनमंच के नेतृत्व में हर्षिल घाटी के सुक्की, झाला, पुराली, जसपुर, बगोरी, हर्षिल, धराली व मुखवा गांव के ग्रामीणों की हर्षिल में बैठक हुई। ग्रामीणों ने कहा कि इस बार भालू, लंगूर, बंदरों ने सेब की फसल और पेड़ों को खासा नुकसान पहुंचाया है। साथ ही तोतों के झुंड तैयार फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उपला टकनौर जनमंच के अध्यक्ष माधवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वन विभाग और उद्यान विभाग से ग्रामीणों ने फसल सुरक्षित करने के लिए जरूरी उपकरणों की मांग की थी। लेकिन, विभागों ने कोई सुध नहीं ली है। जबकि सुरक्षित हिमालय परियोजना के तहत वन विभाग केवल यूएनडीपी की धनराशि को ठिकाने लगा रहा है। इसके साथ ही काश्तकारों ने उद्यान विभाग से मांग की गई थी कि झाला में जो कोल्ड स्टोर बनाया गया है। उसमें हर्षिल घाटी के काश्तकारों के लिए सेब सुरक्षित रखने के लिए एक हिस्सा दिया जाए। हर्षिल के प्रधान दिनेश रावत ने कहा कि जो कोल्ड स्टोर संचालक होता है, वह बहुत कम दाम पर काश्तकारों से सेब खरीदता है। जिससे काश्तकारों को कोई फायदा नहीं है। केवल कोल्ड स्टोर संचालक और बिचौलिया ही मुनाफा कमाते हैं। काश्तकारों और जनप्रतिनिधियों ने कहा कि अगर उनकी मांगों का शीघ्र ही निस्तारण नहीं हुआ तो सेब महोत्सव के विरोध के साथ काश्तकार हर्षिल में अनशन करेंगे। इस मौके पर संजय पंवार, यशवीर नेगी, राजेश सिंह, बीरा देवी, अजय सेमवाल सहित आदि मौजूद थे।

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