तीसरी आंख से होगी गर्तागली की निगरानी
शैलेंद्र गोदियाल उत्तरकाशी भारत-चीन सीमा पर दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में शुमार गर्तागल
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी
भारत-चीन सीमा पर दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में शुमार गर्तागली की सुरक्षा अब सीसीटीवी कैमरों से होगी। इसके लिए जिलाधिकारी उत्तरकाशी मयूर दीक्षित के निर्देश पर लोनिवि भटवाड़ी ने कार्यवाही शुरू कर दी है। सीसीटीवी कैमरों के लिए लोनिवि के पास लगभग 10.5 लाख रुपये का बजट उपलब्ध है। इन कैमरों के जरिये गर्तागली में झुंड बनाकर चलने, गर्तागली की सीढि़यों पर बैठने, उछलने-कूदने, ज्वलनशील पदार्थ का प्रयोग करने, गर्तागली की रेलिंग से नीचे झांकने जैसी प्रतिबंधित गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी।
उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 10500 फीट की ऊंचाई पर गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र में एक खड़ी चट्टान को काटकर बनाए गए इस सीढ़ीनुमा मार्ग से गुजरना स्वयं में रोमांचकारी अनुभव है। 140 मीटर लंबा यह सीढ़ीनुमा मार्ग 17वीं सदी में पेशावर से आए पठानों ने बनाया था। 1962 से पहले इसी मार्ग से भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक गतिविधियों का संचालन होता था। दोरजी (तिब्बती व्यापारी) ऊन, चमड़े से बने वस्त्र व नमक लेकर नेलांग से गर्तागली होते हुए उत्तरकाशी पहुंचते थे। भारत-चीन युद्ध के बाद गर्तागली से व्यापारिक गतिविधियों पर रोक लग गई। हालांकि, सेना 1975 तक इस मार्ग से आवाजाही करती रही। इसके बाद देख-रेख के अभाव में गर्तागली की सीढि़यां और किनारे लगाई गई लकड़ी की सुरक्षा बाड़ जर्जर होती चली गई।
मार्च 2021 में गर्तांगली के पुनरुद्धार का कार्य शुरू हुआ, जो अगस्त में पूरा हो चुका है। अब तो यहां पर्यटन गतिविधियां भी संचालित होने लगी हैं और रोजाना सौ से अधिक पर्यटक गर्तागली की सैर कर रहे हैं। पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से गर्तागली की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। इनका नियंत्रण गंगोत्री नेशनल पार्क के पास होगा। पार्क के उपनिदेशक आरएन पांडेय ने बताया कि सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए जिलाधिकारी ने लोनिवि को निर्देश दिए हैं। गर्तागली में आठ सीसीटीवी कैमरे लगने हैं और लगभग 1.5 किमी लंबी केबल बिछाई जानी है। इसका नियंत्रण भैरव घाटी के पास लंका पुल पर होगा। यहां गंगोत्री नेशनल पार्क की चौकी बनाई जा रही है।