Gangotri Gangajal News: देश के कोने-कोने में पहुंच रहा गंगोत्री का गंगाजल

Gangotri Gangajal News डाक विभाग देश के कोने-कोने में गंगोत्री से भरे गंगाजल की बोतलें पहुंचा रहा है। 250 एमएल की यह बोतल देश के हर डाकघर में आसानी से 30 रुपये में उपलब्ध हो जाती है। बीते वर्ष लंबे लॉकडाउन के बाद गंगाजल की मांग कम नहीं हुई है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 05:05 AM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 05:05 AM (IST)
Gangotri Gangajal News: देश के कोने-कोने में पहुंच रहा गंगोत्री का गंगाजल
इस तरह से 250 एमएल की बोतलों में पैक किया जाता हैं गंगोत्री से लाया गया गंगा जल।

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। Gangotri Gangajal News डाक विभाग देश के कोने-कोने में गंगोत्री से भरे गंगाजल की बोतलें पहुंचा रहा है। 250 एमएल की यह बोतल देश के हर डाकघर में आसानी से 30 रुपये में उपलब्ध हो जाती है। बीते वर्ष करोना संक्रमण और लंबे लॉकडाउन के बाद भी गंगाजल की मांग कम नहीं हुई है। उत्तरकाशी स्थित डाकघर में लगे बॉटलिंग प्लांट से गंगाजल की 3.86 लाख से अधिक बोतल मुख्य डाकघर देहरादून भेजी गईं। वहां से इनकी देश के 22 डाक सर्किल में आपूर्ति की गई। डाक सर्किलों से गंगाजल की बोतल जिलास्तर के डाकघरों को पहुंचाई जाती हैं। इसके अलावा लोग डाक विभाग की वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन भी गंगाजल की बोतल मंगवा सकते हैं।

गंगाजली बॉटलिंग करने की जिम्मेदारी डाक विभाग ने उत्तरकाशी स्थित डाकघर को सौंपी है। यहां अक्टूबर 2018 में बॉटलिंग प्लांट लगाया गया था। तब से यहां गंगोत्री से लाए गंगाजल की बॉटलिंग और पैकिंग की जा रही है। इस प्लांट में अभी तक गंगाजल की सिर्फ 250 एमएल की बॉटलिंग होती है। वर्ष 2018 से फरवरी 2021 तक गंगाजल की 9.67 लाख बोतलों को मुख्य डाकघर देहरादून भेजा गया। इस वित्तीय वर्ष के लिए डाक विभाग की ओर से एक लाख खाली बोतल उत्तरकाशी पहुंचा दी गई हैं। डाकघर के पोस्ट मास्टर राकेश रजवार बताते हैं कि गंगोत्री से लाए गंगाजल से गाद हटाने के लिए उसे यहां बॉटलिंग प्लांट में फिल्टर किया जाता है। फिर उसे 250 एमएल की बोतलों में पैक कर मुख्य डाकघर देहरादून भेजा जाता है। वहां से इसे डाकघरों की मांग के अनुसार देश के विभिन्न डाक सर्किलों में भेजा जाता है। 250 एमएल गंगाजल की कीमत 30 रुपये प्रति बोतल रखी गई है।

पीढ़ि‍यों से है गंगाजल पहुंचाने की परंपरा 

गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों की ओर से देशभर में अपने यजमानों को पीढ़ि‍यों से गंगाजल पहुंचाया जाता रहा है। इस परंपरा के तहत वे आज भी शीतकाल के दौरान गंगाजल लेकर देश के विभिन्न हिस्सों का भ्रमण करते हैं।

गंगाजल की बॉटलिंग प्रक्रिया 

अक्टूबर 2018 में डाक विभाग की ओर से उत्तरकाशी डाकघर में बॉटलिंग प्लांट लगाया गया था। गंगोत्री से 40-40 लीटर के केन में भरकर गंगाजल को इस बॉटलिग प्लांट में पहुंचाया जाता है। प्लांट में गंगाजल से रेत और गाद को छानने के लिए 16 टंकियां लगाई गई हैं। इनके जरिये 12 घंटे में 1600 लीटर गंगाजल का शोधन हो जाता है। इसके बाद रैपर लगी 250 एमएल की बोतलों में गंगाजल की पैकिंग कर उन्हें मुख्य डाकघर देहरादून भेजा जाता है।

ऑनलाइन भी उपलब्ध है गंगाजल 

गंगाजल मंगाने के लिए देश का कोई भी व्यक्ति अपने नजदीकी डाकघर में संपर्क कर सकता है। अगर वहां उपलब्ध नहीं है तो उसे डाक से मंगवा सकता है। गंगाजल की 250 एमएल की बोतल देश के हर डाकघर में 30 रुपये में उपलब्ध हो जाती हैं। इसके अलावा ऑनलाइन मंगवाने के लिए indiapost.gov.in पर बुकिंग करवा सकता है।

गंगाजल बॉटलिंग की स्थिति  वर्ष--------------बोतल 2018-19------135600 2019-20------444816 2020-21------386640  कुल-------------967056

ऑनलाइन खरीद के लिए 250 एमएल की बोतल का मूल्य  एक बोतल का पैक, 121 रुपये  दो बोतल का पैक, 201 रुपये  चार बोतल का पैक, 321 रुपये 

28 व्यक्तियों को मिला है रोजगार 

गंगाजल बॉटलिंग प्लांट में 28 कर्मचारी कार्यरत हैं। प्लांट में सुपरवाइजर की जिम्मेदारी एक पूर्व सैनिक को दी गई है। प्लांट में गंगाजल की बॉटलिंग, पैकिंग आदि कार्य के लिए एक कर्मचारी को आठ घंटे के 400 रुपये दिया जाते हैं।

पर्व-त्योहारों पर बढ़ जाती है मांग 

डाक विभाग के अनुसार देश के 23 डाक सर्किलों के तीन हजार से अधिक डाकघरों से दीपावली, दशहरा, शिवरात्रि व अन्य स्नान पर्वों के दौरान गंगोत्री के गंगाजल की अधिक मांग रहती है। डाक विभाग के पास यह मांग देशभर के मंदिरों से भी आती है।

इन डाक सर्किलों से आती हैं अधिक मांग

झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु, असोम, राजस्थान, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब आदि।

कपाट खुले रहने पर भरा जाता है गंगाजल 

गंगोत्री से गंगा जल भरने में डाक विभाग परंपराओं का भी खास ध्यान रखता है। जब गंगोत्री धाम के कपाट खुले रहते हैं, तभी गंगाजल को केन में भरकर उत्तरकाशी पहुंचाया जाता है। कपाट बंद होने के बाद गंगोत्री से गंगा जल नहीं भरा जाता। जो गंगाजल कपाट खुलने के दौरान एकत्र किया जाता है, उसी की बॉटलिंग की जाती है।

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