बेमौसम बर्फबारी ने काश्तकारों की उम्मीदें तोड़ी

बेमौसम बारिश और बर्फबारी ने काश्तकारों की मेहनत पर पानी फिर गया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 06:23 PM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 10:19 PM (IST)
बेमौसम बर्फबारी ने काश्तकारों की उम्मीदें तोड़ी
बेमौसम बर्फबारी ने काश्तकारों की उम्मीदें तोड़ी

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : बेमौसम बारिश और बर्फबारी ने काश्तकारों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। सबसे अधिक नुकसान हर्षिल घाटी में हुआ। हर्षिल घाटी में अप्रैल माह में चार बार की बर्फबारी हो चुकी है, जिससे सेब की बागवानी को भारी नुकसान पहुंचा है। बुधवार की रात और गुरुवार की शाम को हुई बर्फबारी से सेब के फूल और टहनियां टूटकर गिर गई हैं। उपला टकनौर जनमंच ने इस भारी नुकसान को लेकर गुरुवार को हर्षिल में बैठक की। साथ ही उपजिलाधिकारी देवेंद्र नेगी को ज्ञापन दिया।

दरअसल हर्षिल घाटी सेब के उत्पादन को लेकर खास पहचान रखती है। हर्षिल घाटी के आठ गांवों के ग्रामीणों की आजीविका का मुख्य जरिया सेब उत्पादन है। लेकिन, इस बार बर्फबारी ने काश्तकारों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। हर्षिल की पूर्व प्रधान बसंती नेगी कहती हैं कि पिछले 25 वर्षों के अंतराल में यह पहला मौका है, जब अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह में बर्फ गिर रही है। बीते वर्ष 9 अप्रैल को हर्षिल घाटी में बर्फबारी हुई थी। लेकिन उसके बाद मौसम साफ हो गया था। परंतु इस बार तो सेब के काश्तकार मायूस हो गए हैं। उपला टकनौर जनमंच के अध्यक्ष माधवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि हर्षिल घाटी में अप्रैल के महीने चार बार की बर्फबारी हो चुकी है। लेकिन सबसे अधिक नुकसान बुधवार की रात और गुरुवार को हुई बर्फबारी से हुआ है। सेब की फसल के नुकसान के लिए काश्तकार बीमा कंपनी से संपर्क कर रहे हैं। लेकिन, ऑनलाइन संपर्क नहीं हो पा रहा है। इसको लेकर उन्होंने उपजिलाधिकारी से मांग की है कि सेब की फसल को बारिश और बर्फबारी से हुए नुकसान का आकलन कराया जाए। हर्षिल के प्रधान दिनेश रावत ने कहा कि अप्रैल में हो रही बारिश, बर्फबारी और ओलावृष्टि के कारण सेब की फसल को 60 फीसद से अधिक नुकसान हुआ है।

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