विशिष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों को सेवा रत्न सम्मान
जागरण संवाददाता उत्तरकाशी अंतरराष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस पर जिला प्रेक्षागृह सेवा
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: अंतरराष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस पर जिला प्रेक्षागृह सेवा रत्न सम्मान समारोह आयोजित किया गया। नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट सोसाइटी देहरादून और हिमालय प्लांट बैंक श्याम स्मृति वन की ओर से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें कोविड और आपदा के दौरान बेहतर कार्य करने वाले चिकित्सकों, अधिकारी कर्मचारियों सहित स्वयंसेवी संगठनों के पदाधिकारियों को सेवा रत्न सम्मान दिया गया।
बीती बुधवार रात आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य विकास अधिकारी गौरव कुमार ने कहा कि आपदा कभी भी सूचना देकर नहीं आती। इसलिए आपदा में मदद व उचित सहयोग करने वाले व्यक्तियों का सम्मान जरूरी है। वहीं आपदाओं से बचाव के लिए आपदा से पहले, आपदा के दौरान और आपदा के बाद की लिए विशेष रणनीतियों के माध्यम से बेहतर प्रबंधन के जरिये निपटा जा सकता है। इस अवसर पर कोविड वारियर्स के अतिरिक्त स्पैक्स देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. बृजमोहन शर्मा, आपदा प्रबंधन अधिकारी उत्तरकाशी देवेंद्र पटवाल, जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डा. रतनमणी भट्ट, वार रूम प्रभारी डा. बीएस रावत, रेडक्रास के माधव जोशी, रोटरी के अध्यक्ष उमेश प्रसाद बहुगुणा, हिमालय प्लांट के संरक्षक सुभाष चंद्र नौटियाल, रमा डोभाल, वैज्ञानिक डा. मणिंद्र मोहन शर्मा, डा. विकास नौटियाल, चीड़ हटाओ, बांज लगाओ आंदोलन के प्रणेता रमेश बौड़ाई, आपदा प्रबंधन जनमंच से द्वारिका सेमवाल, कमलेश गुरुरानी, गोपाल थपलियाल, संदीप उनियाल, पत्रकार सुरेंद्र नौटियाल, अजय कुमार, आपदा प्रबंधन स्वयंसेवक राजेश रावत को सेवा रत्न देकर सम्मानित किया गया। इन विशिष्ट व्यक्तियों ने आपदा और कोविड के दौरान अपने-अपने क्षेत्रों में विशेष कार्य किए हैं। इसके साथ ही चिकित्सक, नर्स, फार्मेसिस्ट, पैरामेडिकल स्टाफ, पत्रकार, पुलिस, प्रशासन, शिक्षक, रेडक्रास स्वंयसेवियों सहित तीन सौ व्यक्तियों को सेवा रत्न से सम्मानित किया गया। हिमालय प्लांट बैंक श्याम स्मृति वन के अध्यक्ष पर्यावरण प्रेमी प्रताप पोखरियाल ने कहा कि इस तरह का प्रयास पहली बार किया गया है। विशिष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों का सम्मान आगे भी किया जाएगा, जिससे अन्य व्यक्ति भी बेहतर कार्य को प्रेरित हो सकें। कार्यक्रम का संचालन डा. शंभू प्रसाद नौटियाल ने किया।