जियो-फिजिकल और जियो-टेक्निकल सर्वे की वकालत

जागरण संवाददाता उत्तरकाशी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शासन की ओर से भेजी

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 07:45 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 07:45 PM (IST)
जियो-फिजिकल और जियो-टेक्निकल सर्वे की वकालत
जियो-फिजिकल और जियो-टेक्निकल सर्वे की वकालत

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शासन की ओर से भेजी गई भूविज्ञानियों की टीम ने रविवार को भूस्खलन प्रभावित मस्ताड़ी और कंकराड़ी गांव का सर्वे किया। मस्ताड़ी गांव में टीम ने घर-आंगन में पड़ी दरारें, घरों अंदर से निकलते पानी के स्त्रोत और गांव के निकट पड़ी दरार का भी सर्वे किया।

भूविज्ञानिकों की टीम ने मस्ताड़ी गांव के जियो-फिजिकल और जियो-टेक्निकल सर्वे की वकालत की ताकि मस्ताड़ी गांव में भूस्खलन के पीछे के कारणों का सही पता चल सके। इसके बाद विस्थापन को लेकर रिपोर्ट दी जा सकेगी। भूविज्ञानियों के दल के सदस्य राक स्टैबिलाइजेशन एक्सपर्ट डा. मनीष सेमवाल ने बताया कि पहाड़ी के मलबे में ऊपर मस्ताड़ी गांव बसा है। अब इस मलबे की मिट्टी धस रही है और पत्थर ऊपर रह जा रहे हैं, जिससे जमीन के नीचे पत्थरों के बीच कुछ रिक्त स्थान हो गया है। 1991 के भूकंप से गांव के प्राकृतिक स्त्रोत ने भी रास्ता बदल दिया है। पानी अपना रास्ता बना ही देता है। प्राकृतिक जलस्त्रोत का पानी अब गांव के बीचोंबीच घरों के नीचे से बह रहा है। भूविज्ञानिकों के दल ने कंकराड़ी गांव का भी सर्वे किया। डा. मनीष सेमवाल ने बताया कि हाल में हुए भूस्खलन से करीब 15 घरों को खतरा बना है। यह गांव भी मलबे के ऊपर बसा है। गांव के ऊपर की पहाड़ी पर भारी बोल्डर हैं। 1991 के भूकंप के बाद भूविज्ञानियों ने इन बोल्डरों से गांव के करीब 45 घरों को खतरा बताया था। अगर फिर से कोई बड़ा भूकंप आया तो गांव को बड़ा खतरा हो सकता है। वहीं बीती शनिवार को भूविज्ञानियों की टीम ने मांडो और निराकोट गांव का सर्वे किया था।

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