VIDEO: उत्तराखंड के चमोली में हिमस्खलन, त्रिशूल पर्वत पर चढ़ाई करने जा रहे नौसेना के 5 जवान और एक पोर्टर लापता

माउंट त्रिशूल का आरोहण के दौरान एवलांच आने से नौसेना के पर्वतारोही दल इसकी चपेट में आ गया। छह पर्वतारोही लापता बताए जा रहे हैं। नेहरू पर्वतरोहण संस्थान से रेस्क्यू टीम प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में चमोली जनपद से त्रिशूल चोटी के लिए रवाना हो गया है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 01 Oct 2021 01:48 PM (IST) Updated:Fri, 01 Oct 2021 09:50 PM (IST)
VIDEO: उत्तराखंड के चमोली में हिमस्खलन, त्रिशूल पर्वत पर चढ़ाई करने जा रहे नौसेना के 5 जवान और एक पोर्टर लापता
माउंट त्रिशूल का आरोहण के दौरान एवलांच आने से नौसेना के पर्वतारोही दल इसकी चपेट में आ गया।

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। कुमांऊ मंडल के बागेश्वर जनपद में स्थित माउंट त्रिशूल (7,120 मीटर) के आरोहण के दौरान नौसेना के पर्वतारोही दल के पांच जवान और एक पोर्टर एवलांच की चपेट में आ गए। इन्हें निकालने के लिए वायुसेना, थलसेना, उत्तरकाशी स्थित नेहरू पर्वतरोहण संस्थान (निम) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) संयुक्त रूप से रेस्क्यू चला रहा है। टीम ने दोपहर बाद तीन बार रेस्क्यू के लिए उड़ान भरी, लेकिन मौसम के बाधक बनने से इसमें सफलता नहीं मिल पाई। जोशीमठ से यह अभियान संचालित किया जा रहा है। अब टीमें शनिवार को लापता जवानों की खोजबीन के लिए उड़ान भरेंगी।

नौसेना के पर्वतारोहियों की 20 सदस्यीय टीम त्रिशूल चोटी के आरोहण के लिए 3 सितंबर को मुंबई से रवाना हुई थी। टीम चमोली जनपद के नंदप्रयाग घाट होते हुए त्रिशूल चोटी के बेस कैंप होमकुंड पहुंची। बृहस्पतिवार की रात इनमें से 10 पर्वतारोहियों का दल 6000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कैंप-तीन से आगे बढ़ा। शुक्रवार की सुबह करीब पांच बजे 6700 मीटर की ऊंचाई के आसपास एवलांच आया। आरोहण के लिए दल में आगे चल रहे पोर्टर सहित पांच जवान चपेट में आ गए। यह देखकर अन्य जवानों ने आरोहण अभियान रोककर बेस कैंप को सूचना भेजी। यहां से नौसेना की एडवेंचर विंग को घटनाक्रम की जानकारी दी गई।

निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि एवलांच आने के कारण त्रिशूल चोटी पर लापता पर्वतारोहियों के खोज बचाव के लिए नौसेना की एडवेंचर विंग ने निम, थलसेना और एसडीआरएफ से मदद मांगी है। वायु सेना के हेलीकाप्टर से उनके साथ सर्च एंड रेस्क्यू के प्रशिक्षक दीप शाही और सौरभ रौतेला भी जोशीमठ पहुंचे। इससे पहले जोशीमठ में थलसेना की टीम रेस्क्यू की तैयारियों में जुट गई थी। राज्य आपदा मोचन बल की टीम नंदप्रयाग घाट होते हुए रेस्क्यू के लिए चली है।

कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि शुक्रवार की सुबह पांच बजे के करीब त्रिशूल चोटी के आरोहण के दौरान यह घटना घटी है। जो एवलांच की चपेट में आए हैं वे सदस्य आगे चल रहे थे, जबकि अन्य चार सदस्य कुछ पीछे थे। उन्होंने बताया कि चार हेलीकाप्टर से रेस्क्यू किया जा रहा है।

दोपहर बाद से शाम तक तीन बाद टीमों ने उड़ान भरी, लेकिन घटना वाले इलाके में बर्फबारी और बारिश को चलते टीमें उतर नहीं पाई। अब शनिवार सुबह अभियान शुरू किया जाएगा। बेस कैंप में जवानों के अलावा पोर्टर व अन्य सहयेागी स्टाफ समेत कितने लोग मौजूद हैं, इसका अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है।

इधर, बदरीनाथ वन प्रभाग के रेंजर डीएस परमार का कहना है कि स्थानीय निवासियों ने अभियान दल में 45 से अधिक सदस्यों के शामिल होने की जानकारी दी है। स्थानीय निवासियों ने उन्हें बताया कि इनके साथ सुतोल गांव के चार पोर्टर भी गए थे, जो वापस लौट आए हैं।

पैदल भी रेस्क्यू के लिए निकली टीम

लापता जवानों की खोजबीन और बेस कैंप में फंसे जवानों को निकालने के लिए दो अलग-अलग जगह से रेस्क्यू टीम पैदल ट्रेक पर भी रवाना हुई है। इनमें एक दल घाट सुतोल से और दूसरा दल जोशीमठ से आगे बढ़ा है।

त्रिशूल चोटी पर चढ़ने हैं दो रास्ते

त्रिशूल चोटी पर जाने के लिए मुख्य दो रास्ते हैं। जिनमें एक रास्ता जोशीामठ होते हुए जाता हैं। कुछ वर्षों से जोशीमठ वाले रास्ते से अनुमति नहीं दी जाती है। जबकि, दूसरा रास्ता चमोली के नंदप्रयाग घाट होते हुए जाता है। पर्वतारोही इसी रास्ते का उपयोग करते हैं। नौसेना के पर्वतारोही भी इसी रास्ते के जरिये त्रिशूल चोटी के आरोहण के लिए गए थे। तीन चोटियों का समूह होने के कारण इसे त्रिशूल कहते हैं।

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