चीन सीमा पर खुला रोमांच का गलियारा, गर्तांगली में 1962 से पहले इसी रास्‍ते होता था व्‍यापार

Gartang Gali दुनिया के खतरनाक रास्तों में शुमार गर्तांगली को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। इस दौरान कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव को जारी गाइडलाइन का पाल करना जरूरी है। ये मार्ग कभी भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक गतिविधियों का मुख्य केंद्र था।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Wed, 18 Aug 2021 12:19 PM (IST) Updated:Wed, 18 Aug 2021 10:47 PM (IST)
चीन सीमा पर खुला रोमांच का गलियारा, गर्तांगली में 1962 से पहले इसी रास्‍ते होता था व्‍यापार
रोमांच के शौकीनों के लिए अच्छी खबर, दुनिया के खतरनाक रास्तों में शुमार गर्तांगली खुली। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। Gartang Gali भारत-चीन सीमा पर उत्तरकाशी जिले की जाड़ गंगा घाटी में स्थित गर्तांगली (गर्तांग गली) (सीढ़ीनुमा रास्ता) के पुनरुद्धार का कार्य पूरा होने के बाद बुधवार को इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। पहले दिन कुछ स्थानीय पर्यटक ही गर्तांगली के दीदार को पहुंचे। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि एक बार में अधिकतम दस पर्यटकों को ही गर्तांगली जाने के निर्देश गंगोत्री नेशनल पार्क के उपनिदेशक को दिए गए हैं। गर्तांगली में झुंड बनाकर आवाजाही करना, बैठना, उछलकूद करना व ज्वलनशील पदार्थ ले जाना प्रतिबंधित है। सुरक्षा की दृष्टि से गर्तांगली की रेलिंग से नीचे झांकना भी प्रतिबंधित है।

जिलाधिकारी ने बताया कि भैरवघाटी के पास चेकपोस्ट बनाकर गर्तांगली (Gartang Gali) क्षेत्र में जाने वाले पर्यटकों का पंजीकरण करने के निर्देश भी पार्क प्रशासन को दिए गए हैं। वहीं, गंगोत्री नेशनल पार्क के अधिकारी गर्तांगली की सैर को शुल्क तय करने समेत अन्य पर्यटन सुविधाएं जुटाने में लगे हैं। विदित हो कि समुद्रतल से 10500 फीट की ऊंचाई पर एक खड़ी चट्टान को काटकर बनाए गए इस सीढ़ीनुमा मार्ग से गुजरना बहुत ही रोमांचकारी अनुभव है। 140 मीटर लंबा यह सीढ़ीनुमा मार्ग 17वीं सदी में पेशावर से आए पठानों ने चट्टान को काटकर बनाया था। 1962 से पहले भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक गतिविधियां संचालित होने के कारण नेलांग घाटी दोनों तरफ के व्यापारियों से गुलजार रहती थी। दोरजी (तिब्बती व्यापारी) ऊन, चमड़े से बने वस्त्र व नमक लेकर सुमला, मंडी व नेलांग से गर्तांगली होते हुए उत्तरकाशी पहुंचते थे।

भारत-चीन युद्ध के बाद गर्तांगली से व्यापारिक आवाजाही बंद हो गई। हालांकि, सेना की आवाजाही होती रही। भैरव घाटी से नेलांग तक सड़क बनने के बाद 1975 से सेना ने भी इस रास्ते का इस्तेमाल बंद कर दिया। देख-रेख के अभाव में इसकी सीढ़ि‍यां और किनारे लगाई गई लकड़ी की सुरक्षा बाड़ जर्जर होती चली गई। गर्तांगली के पुनरुद्धार का कार्य बीते मार्च में शुरू हुआ, लेकिन अप्रैल में बर्फबारी के चलते कार्य की गति धीमी रही। हालांकि, जून में कार्य ने रफ्तार पकड़ी और जुलाई के अंतिम सप्ताह में कार्य पूरा भी हो गया। अब गर्तांगली को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है।

इन बातों का रखें ध्यान

गर्तांगली दुनिया के खतरनाक रास्तों में शुमार है। ऐसे में ट्रैक पर एक बार में अधिकतम दस लोग एक मीटर की दूरी बनाकर चलेंगे। ट्रैक में झुंड बनाकर आवागमन या फिर बैठना प्रतिबंधित होगा। यहां उछल-कूद जैसे क्रियकलाप भी मना है। इसके अलावा ट्रैक की रैलिंग से नीचे झांक भी नहीं सकते हैं। ट्रैक की सुरक्षा के दृष्टिगत ट्रैक क्षेत्र में धूमपान करना और अन्य ज्वलनशील पदार्थ ले जाना वर्जित है। यहां भोजन बनाना भी मना है।

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