काशीपुर के पर्यटक स्थल झेल रहे उपेक्षा का दंश

खेमराज वर्मा काशीपुर महाभारत और बौद्ध काल से जुड़े शहर के ऐतिहासिकविरासत आज भी सरकार की उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 11:01 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 11:01 PM (IST)
काशीपुर के पर्यटक स्थल झेल रहे उपेक्षा का दंश
काशीपुर के पर्यटक स्थल झेल रहे उपेक्षा का दंश

खेमराज वर्मा, काशीपुर

महाभारत और बौद्ध काल से जुड़े शहर के ऐतिहासिक विरासत आज भी सरकार की उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों के विकास के नाम पर करोड़ों के प्रोजेक्ट एक दशक से भी ज्यादा समय से धरातल पर उतर नहीं सके हैं। काशीपुर में द्रोण सागर व गिरि सरोवर से लेकर गोविषाण टीले तक की ऐतिहासिक महत्व की विरासत रख-रखाव के अभाव में अपनी पहचान खो रहे हैं। प्रशासन व पर्यटन विभाग ने इनकी तरफ विशेष ध्यान नहीं दिया तो ये स्थल अपना अस्तित्व खो देंगे। काशीपुर के पर्यटक स्थल द्रोणा सागर :

काशीपुर की ऐतिहासिक पहचान द्रोणा सागर से ही है। माना जाता है कि गुरु द्रोण ने पांडवों को यहीं शिक्षा दी थी। हिदू धर्म में यहां स्नान करने का विशेष महत्व है। लंबे समय से इसकी देखभाल नहीं की जा रही है। महाभारत काल के दौरान गुरु द्रोणाचार्य ने कौरव-पांडवों को यहां शिक्षा प्रदान की थी। उन्हीं को दक्षिणा देने के लिए पांडवों ने इस जलाशय का निर्माण करवाया था। गिरि सरोवर :

गिरि सरोवर चुनिदा प्रसिद्ध जलाशयों में शामिल है, जहां पर्यटकों का अच्छा खासा जमावड़ा लगता था। सुबह की पहली किरण पड़ने पर पर्वतों की छाया सीधे जलाशय में दिखती थी। यही कारण है कि इसका नाम गिरिताल अथवा गिरि सरोवर पड़ा। प्राकृतिक सौंदर्य के बीच यह पिकनिक स्पाट भी है, जहां वीकेंड पर सैलानी सपरिवार पहुंचते हैं। लेकिन इन दिनों इसके आसपास पाíकंग स्थल बनने से सुंदरता पर ग्रहण लग रहा है। सिर्फ व्यावसायिक गतिविधियों में ही इसका प्रयोग किया जा रहा है। यही हाल रहा तो यह भी धीरे-धीरे गायब हो जाएगा। चैती देवी मंदिर :

पौराणिक महत्व का चैती देवी मंदिर यहां के प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल है और 51 शक्तिपीठों में से एक है। इसका संबंध भी महाभारत काल से बताया जाता है। यहां हर साल नवरात्रि के दौरान भव्य आयोजन किए जाते हैं, जिनमें हिस्सा लेने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। चैती मेला भी काफी प्रसिद्ध है। माना जाता है कि इस स्थल का पौराणिक नाम गोविषाण था। मान्यता के अनुसार यहां देवी सती की दायीं भुजा गिरी थी। यहां देवी के भुजा की पुजा की जाता है। श्री भीमाशंकर मंदिर :

भीमाशंकर मंदिर को मोटेश्वर महादेव मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 प्रसिद्ध ज्योतिíलंगों में से एक है। यहां साल के दौरान सैकड़ों शिव भक्त उमड़ते हैं। खासकर सावन में श्रद्धालुओं का तांता लगता है। काशीपुर बस अड्डे से यह मंदिर मात्र तीन किमी दूर है।

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वर्जन

सभी पर्यटक स्थलों की देखरेख और सुंदरीकरण के लिए डीपीआर शासन को भेज दी है। मंजूरी मिलने पर द्रोणा सागर झील व गिरि सरोवर के साथ ही अन्य पर्यटक स्थल विकसित किए जाएंगे। ताकि ऐतिहासिक छवि बनी रहे। - पीके गौतम, जिला पर्यटन विकास अधिकारी, ऊधमसिंह नगर

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