विश्व नदी दिवस पर काशीपुर आइआइएम के प्रो. बलूनी ने केरल की तर्ज पर नदियों के संरक्षण का किया आह्वान

काशीपुर नगर निगम सभागार में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट काशीपुर के निदेशक प्रो. बलूनी ने केरल की तर्ज पर नदियों का संरक्षण करने का आह्वान किया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 10:58 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 10:58 PM (IST)
विश्व नदी दिवस पर काशीपुर आइआइएम के प्रो. बलूनी ने केरल की तर्ज पर नदियों के संरक्षण का किया आह्वान
विश्व नदी दिवस पर काशीपुर आइआइएम के प्रो. बलूनी ने केरल की तर्ज पर नदियों के संरक्षण का किया आह्वान

जागरण संवाददाता, काशीपुर :

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट काशीपुर के निदेशक प्रोफेसर कुलभूषण बलूनी ने कहा कि उत्तराखंड में भी केरल की तर्ज पर नदियों का सरंक्षण करना होगा, जहां आज भी सुरक्षित नदियों के किनारे शहर भी आबाद हैं। यह बात उन्होंने रविवार को नगर निगम सभागार में कही। विश्व नदी दिवस के अवसर पर वह सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के क्षेत्रीय लोक संपर्क ब्यूरो नैनीताल के जन जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में नदियों की देखभाल व रक्षा करने के लिए खुद से शुरुआत करने का आह्वान भी किया गया।

काशीपुर डेवलेपमेंट फोरम के अध्यक्ष राजीव घई ने कहा कि उत्तराखंड के गठन में नगर के लोगों का मुख्य योगदान रहा है, फिर भी इसका अपेक्षित विकास नहीं हो पा रहा है। कोशिश की जाए तो सूख चुके द्रोणाचार्य सागर में बारिश का पानी एकत्रित किया जा सकता है। इससे वाटर लेवल भी सुधरेगा। ढेला और कोसी नदी के बीच बसे काशीपुर में एजुकेशन सेक्टर के विकास पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बलूनी ने कहा कि जीवन के लिए जरूरी हवा, पानी और भोजन के संरक्षण के लिए सबको अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। उन्होंने बताया कि वह संस्थान के विद्यार्थियों को हमेशा माइकल क्रेन बुक पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारी राजेश सिन्हा ने बताया कि सरकार ने प्रत्येक जिले में नदियों की साफ-सफाई के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। उन्होंने बताया कि देश में 18 प्रतिशत जनसंख्या 2.4 प्रतिशत भू-भाग पर रहती है। चीन की तुलना में हम ज्यादा पानी खर्च करते हैं। जबकि हर किसी को इसकी बचत करनी चाहिए। नगर निगम मेयर ऊषा चौधरी ने कहा कि नदियों से 500 मीटर की दूरी पर ही मकान बनना चाहिए। लोगों को धाíमक सामग्री भी नदियों में नहीं फेंकनी चाहिए। उद्योगपति पवन अग्रवाल ने बताया कि लंदन की एक नदी को 1957 में डेड घोषित कर दिया गया था। कुछ कंपनी और एनजीओ ने मिलकर कार्य कर उसे 2007 में फिर जीवित घोषित करा दिया। उन्होंने बताया कि उनके पेपर प्लांट को 2012 में सरकार ने बंद करने का निर्देश दे दिया था। कुछ लोगों के सहयोग से उन्होंने 700 पेज की समस्याओं की रिपोर्ट बनाई। फिर समाधान के लिए सिर्फ दो पेज तैयार कर सभी कंपनी मालिकों को उसका पालन करने की अपील की। कुछ समय बाद ही सकारात्मक परिणाम दिख गया।

इस मौके पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारी राजेश सिन्हा ने उपस्थित लोगों से सवाल जवाब किए। सही जवाब देने वालों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कलाकारों ने लोक गीत भी पेश किए। उपस्थित लोगों ने तालियां बजाकर उन्हें प्रोत्साहित किया।

कार्यक्रम में उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुधी भी मौजूद रहे। इससे पूर्व स्वागतगीत, ओम नम: शिवाय, गंगा गीत, लोक गीत के साथ बुके देकर अतिथियों का स्वागत किया गया।

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