श्रद्धा, विश्वास और शिव महिमा का केंद्र है काशीपुर का मोटेश्वर महादेव मंदिर

काशीपुर का मोटेश्वर महादेव मंदिर अरसे से श्रद्धा विश्वास और शिव महिमा का केंद्र बना हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 08:13 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 08:13 PM (IST)
श्रद्धा, विश्वास और शिव महिमा का केंद्र है काशीपुर का मोटेश्वर महादेव मंदिर
श्रद्धा, विश्वास और शिव महिमा का केंद्र है काशीपुर का मोटेश्वर महादेव मंदिर

जासं, काशीपुर : नगर का मोटेश्वर महादेव मंदिर अरसे से श्रद्धा, विश्वास और शिव महिमा का केंद्र बना हुआ है। महाभारत काल में महाबली भीम ने यहां 12वां उप च्योतिíलंग स्थापित किया था, जो आज भी लाखों लोगों की आस्था से जुड़ा है। शिवलिग की मोटाई अधिक होने से यह मोटेश्वर महादेव मंदिर नाम से विख्यात है।

मान्यता है कि यहां लगातार दर्शनों के लिए आने वालों के जीवन से दुख दूर रहता है। स्कंद पुराणानुसार जो भक्त कांवड़ कंधे पर रख हरिद्वार से गंगा जल लाकर यहां चढ़ाएगा, उसे मोक्ष मिलेगा। सावन में शिव भक्तों का यहां ताता लगता रहा है। हालांकि इस बार कोरोना महामारी के चलते श्रद्धालुओं के घरों में रहकर पूजा-अर्चना करने की चर्चा की है।

चैती मैदान पर महादेव नगर के किनारे स्थित मोटेश्वर महादेव मंदिर में रोजाना श्रद्धालु उमड़ते हैं। उप्र के जिला मुरादाबाद, रामपुर, बिजनौर, ठाकुरद्वारा से कई श्रद्धालु हर साल कांवड़ चढ़ाने आते हैं। शिवरात्रि में एक दिन पहले से भक्तों की लाइन लग जाती है और आधी रात से ही कांवड़ चढ़नी शुरू हो जाती है। दूसरी मंजिल पर स्थित शिवलिग के चारों ओर तांबे का फर्श बना है। यह मंदिर जागेश्वर के कारीगर ने बनाया है।

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शिवलिग की गहराई लगभग 30 मीटर जमीन पर टिके शिवलिंग की गहराई नापने की कई बार कोशिश की गई। अनुमान है कि यह लगभग 30 फीट लंबा है। 1942-43 में मंदिर के भूतल में भगदड़ मचने से चार लोगों की मौत के बाद इसे बंद कर दिया गया। तब से ऊपरी मंजिल पर मंदिर है। गुजराती ब्राह्मण नागर परिवार नौ पीढि़यों से मंदिर की सेवा कर रहे हैं। कहा जाता है कि मोटेश्वर महादेव बुक्शा जनजाति के कुल देवता हैं। पहले मंदिर का फर्श पीतल का था। एक श्रद्धालु ने इसे गलाकर उसका घंटा बनवा उसके स्थान पर जयपुर से बैलगाड़ियों से मार्बल मंगाकर लगवाया। मंदिर के भीतर दीवारें कई कोणों में बनी हैं। 1980 में मन्नत पूरी होने पर सेठ मूलप्रकाश ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।

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वर्जन

महाभारत काल में यहां शिवलिग की स्थापना भीम सेन ने की थी। तभी से यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक है। सावन में हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां उमड़ते हैं। मान्यता है कि नियमित यहां आकर भगवान शिव के दर्शन करने वालों से दुख दूर रहते हैं।

-विमल शंकर नागर, मुख्य पुजारी, मोटेश्वर महादेव मंदिर।

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