कोविड मरीजों की सेवा करते हुईं संक्रमित, रिकवर होते फिर जुटीं

रुद्रपुर में कोरोना संक्रमण काल में मेडिकल कालेज कोविड वार्ड में मरीजों के इलाज करते-करते बीते माह संक्रमण की चपेट में जिला अस्पताल की कई स्टाफ नर्स आ गई।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 11:28 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 11:28 PM (IST)
कोविड मरीजों की सेवा करते हुईं संक्रमित, रिकवर होते फिर जुटीं
कोविड मरीजों की सेवा करते हुईं संक्रमित, रिकवर होते फिर जुटीं

ज्ञानेंद्र कुमार शुक्ल, रुद्रपुर

कोरोना संक्रमण काल में मेडिकल कालेज कोविड वार्ड में मरीजों के इलाज करते-करते बीते माह संक्रमण की चपेट में जिला अस्पताल की कई स्टाफ नर्स आ गईं। इसके बाद भी उन्होंने अपनी सेवा का जज्बा नहीं छोड़ा। सतर्कता के बीच खुद को फिर से सेवा के लिए फिट करने के बाद एक बार फिर से यह सेवा करने के लिए कोविड वार्ड में पहुंच गई हैं। इनमें से ही एक किच्छा निवासी स्टाफ नर्स हेमा पांडेय की जिदगी किसी संघर्ष गाथा से कम नहीं कही जा सकती। उनके सिर से माता-पिता का सहारा ईश्वर ने कुछ वर्षों पहले ही जब उठा लिया तो अपनी बहन के किच्छा स्थित घर से ही पढ़ाई के बाद वह स्टाफ नर्स के तौर पर एक साल पहले भर्ती हुईं। यहां पर जिला अस्पताल में सेवा करने के बाद बीते साल ही कोविड संक्रमण काल में उनको कोविड मरीजो की सेवा करने की जिम्मेदारी दी। जिसे बखूबी उन्होंने निभाया। इस बार भी वह मेडिकल कालेज कोविड वार्ड में कोरोना मरीजों की सेवा को दिन व रात जुटी हुई हैं।

मेडिकल कालेज के कोविड वार्ड में सुबह आठ बजे ही डयूटी पर आने वाली स्टाफ नर्स हेमा पांडेय के पिता जहां आज से सात साल पहले ही चल बसे। वहीं उनकी मां ने उनकी पढ़ाई को आगे बढ़ाया और जीएनएम का कोर्स कराया। अभी वह कोर्स पूरा कर पातीं कि मां का साया उनके सिर से उठ गया। एक बार फिर जिदगी जो दौड़ रही थी वह रुक सी गई। स्टाफ नर्स हेमा पांडेय ने बताया कि दो बड़ी बहनों का सहारा मिला। एक बड़ा भाई जो कि पहले ही इस संसार को विदा कर गया। दूसरा पंतनगर में रहता है। बड़ी बहन के साथ किच्छा में रहने वाली स्टाफ नर्स का कहना था कि मरीजों की सेवा करने का जो सपना उन्होंने बचपन से संजोया था वह जब पूरा हुआ तो मां उनके साथ हौसला बढ़ाने के लिए नहीं थीं। बीते साल कोविड संक्रमण के दौर में उन्होंने जिला अस्पताल कोविड वार्ड में अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। इस बार भी अप्रैल में जब कोविड डयूटी मेडिकल कालेज में लगाई गई तो पूरी मेहनत के साथ कोविड मरीजों की सेवा में लगी रहीं। इस बीच वह कोरोना संक्रमित हो गईं लेकिन हार न मानते हुए बेहद सतर्कता के बीच खुद को इस स्थिति से उबारा और 15 दिन के बाद ही फिर उठ खड़ी हुईं एक नए उत्साह के बीच मरीजों की सेवा के लिए। स्टाफ नर्स का कहना था कि अच्छा लगता है जब आप किसी बीमार की सेवा करते हैं। वह भी ऐसे वैश्विक संकट काल में जब अपनों की जिम्मेदारी और बढ़ी हो जाती है। ऐसे में एक अलग प्रकार का जूनून होना चाहिए जो इस सेवा से भरे पेशे और बेहतरीन बना देता है। स्टाफ नर्स का कहना था कि जिला अस्पताल में ही उनकी सीनियर स्टाफ नर्स अर्चना सक्सेना भी उनके साथ कोविड वार्ड में बीते साल से ही डयूटी कर रही हैं। उन्होंने काफी प्रेरित किया कि किस तरह कोविड मरीजों के साथ पेश आना चाहिए और किस तरह सेवा का भाव लाना चाहिए। जिसका परिणाम यह है कि कई कोविड मरीजों को यहां से स्वस्थ होकर भेज चुकी हैं।

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