काशीपुर कृषि विज्ञान केंद्र ने कहा है कि गेहूं की नौ नई प्रजातियां किसानों की आर्थिकी बढ़ाएंगी

काशीपुर कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से कहा गया है कि गेहूं की नौ नई प्रजातियां अब किसानों की आमद का ग्राफबढ़ाएंगी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 09:28 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 09:28 PM (IST)
काशीपुर कृषि विज्ञान केंद्र ने कहा है कि गेहूं की नौ नई प्रजातियां किसानों की आर्थिकी बढ़ाएंगी
काशीपुर कृषि विज्ञान केंद्र ने कहा है कि गेहूं की नौ नई प्रजातियां किसानों की आर्थिकी बढ़ाएंगी

जागरण संवाददाता, काशीपुर : गेहूं की नौ नई प्रजातियां अब किसानों की आमद का ग्राफ बढ़ाएंगी। कृषि विज्ञान केंद्र से मान्यता प्राप्त ये प्रजातियां फसल की बेहतर गुणवत्ता के साथ ही किसान को अच्छी पैदावार भी देंगी।

गेहूं की बोवाई नवंबर के द्वितीय सप्ताह से प्रारंभ हो जाती है। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी अधिकारी डा. जितेंद्र क्वात्रा ने बताया कि किसान अब तक गेहूं की पुरानी प्रजातियां एचडी-3086, एचडी-2967, 2733, डीबीडब्ल्यू-22,एचडी 336, यूपी 2784 व 2865 इत्यादि ही इस्तेमाल करते हैं। समय-समय पर यदि बीज बदला जाए तो उसके सार्थक परिणाम आ सकते हैं। इसे ध्यान में रख गेहूं की नौ नई प्रजातियों डीबीडब्ल्यू-222, पीबीडब्ल्यू-771, डीबीडब्ल्यू-173, डीबीडब्ल्यू-187, एचडी-3226, एचडी-3237, पीबीडब्ल्यू-752, वीएल-953 व एचडी-2967 को मान्यता दी गई है, जो पैदावार बढ़ाने में कारगर हो सकती हैं। उन्होंने बताया कि एक एकड़ क्षेत्र में लगभग 40 किलो गेहूं के बीज का प्रयोग करना चाहिए। एक किलो बीज को दो ग्राम बाविसटिन अथवा कार्बीडिजम से उपचारित कर बोवाई करनी चाहिए। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी अधिकारी डा. क्वात्रा ने बताया कि किसान भाइयों को चाहिए कि उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करना चाहिए। गेहूं की अच्छी उपज के लिए खरीफ की फसल के बाद भूमि में 150 किग्रा. नत्रजन, 60 किग्रा. फास्फोरस, तथा 40 किग्रा. पोटाश प्रति हेक्टेयर तथा देर से बोवाई करने पर 80 किग्रा. नत्रजन, 60 किग्रा. फास्फोरस तथा 40 किग्रा. पोटाश सहित 60 क्िवटल प्रति हेक्टेयर सड़ी गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए। गोबर की खाद एवं आधी नत्रजन की मात्रा तथा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा का प्रयोग खेत की आखिरी जुताई या बोवाई के समय करना चाहिए। शेष नत्रजन की आधी मात्रा पहली सिचाई पर तथा दूसरी सिचाई पर प्रयोग करनी चाहिए।

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