सैन्य सम्मान के साथ नम आंखों ने हवलदार को दी अंतिम विदाई
हवलदार जसपाल सिंह को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। बेटे द्वारा चिता को मुखाग्नि देते समय सभी की आंखें नम हो गईं।
काशीपुर, जेएनएन। तिरंगे में लिपटकर घर पहुंचे हवलदार जसपाल सिंह को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। बेटे द्वारा चिता को मुखाग्नि देते समय सभी की आंखें नम हो गईं। सैनिक की अंतिम विदाई के दौरान श्मशान घाट में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान पूरा वातावरण भारत माता की जय, शहीद हवलदार अमर रहें के नारों से गुंजायमान हो गया।
मूलरूप से ग्राम मझेड़ा, धूमाकोट, पौड़ी गढ़वाल निवासी जसपाल सिंह मणिपुर इंफाल में 27 असम राइफल्स में हवलदार के पद पर तैनात थे। 25 मार्च 1998 को वह शिलांग के दीमापुर से भर्ती हुए थे। 41 वर्षीय जसपाल 19 जनवरी को ड्यूटी के दौरान दोपहर करीब साढ़े तीन बजे कंस्ट्रक्शन काम के चलते एल्युमीनियम की सीढ़ी को लेकर जा रहे थे। इस दौरान सीढ़ी हाईटेंशन की लाइन से टच होने से वह शहीद हो गए। सोमवार सुबह करीब साढ़े पांच बजे जसपाल के पार्थिव शरीर को लेकर हवलदार शिवराज सिंह काशीपुर स्थित पशुपति विहार, जसपुर-खुर्द स्थित आवास पर पहुंचा।
शहीद का पार्थिव शरीर घर पहुंचने की जिस किसी को खबर मिली। वह तुरंत वहां के लिए दौड़ पड़ा। जिसके बाद विधि-विधान के साथ उनका पार्थिव शरीर तिरंगे में लपेटकर सैन्य वाहन से गंगे बाबा रोड स्थित श्मशान घाट लाया गया। जहां पर हेमपुर डिपो से नायब सूबेदार एसके शर्मा के नेतृत्व में गारद की एक टुकड़ी पहुंची। इस दौरान शहीद के पार्थिव शरीर को सैन्य सम्मान के साथ मुखाग्नि दी गई।
बेटा आकाश ने जैसे ही चिता को मुखाग्नि दी। सभी की आंखें नम हो गईं। इस मौके पर आइटीआइ थानाध्यक्ष कुलदीप अधिकारी भी सैनिक को अंतिम विदाई देने पहुंचे। हेमपुर डिपो से पहुंची सैना की टुकड़ी ने पुष्प चक्र अर्पित कर शहीद को सलामी दी।
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