दो रोटी के लिए पांव में छाले हैं, क्या जाने कितना मुश्किल यहां गरीबों के निवाले हैं..

बाजपुर में कोरोनाकाल में जहां आम आदमी परेशान है। वहीं फड़-ठेली वाले दो वक्त की रोटी को तरस गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 05:56 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 05:56 PM (IST)
दो रोटी के लिए पांव में छाले हैं, क्या जाने कितना मुश्किल यहां गरीबों के निवाले हैं..
दो रोटी के लिए पांव में छाले हैं, क्या जाने कितना मुश्किल यहां गरीबों के निवाले हैं..

संवाद सहयोगी, बाजपुर : कोरोनाकाल में जहां आम आदमी आíथक रूप से परेशान हो उठा है। वहीं साप्ताहिक बाजारों में फड़ लगा कर अपने बच्चों का पालन-पोषण करने वाले राज्य के हजारों परिवार अब भुखमरी के कगार पर हैं। 14 माह से कपड़ा, बारदाना, गल्ले का कार्य करने वाले लोग अपनी जमा पूंजी खर्च कर चुके हैं। महीनों से सामान की बंधी गांठें नहीं खुलने से समान खराब होने लगा है, वहीं होलसेलर अपने बकाया को तकाजा कर रहे हैैं।

आज फड़ लगाने वाले भावुक होकर कहते हैं कि दो रोटी के लिए पांव में छाले हैं, सरकार क्या जाने कितना मुश्किल यहां गरीबों के निवाले हैं, इस मुफलिसी में कैसे बच्चों को पाले हैं, कहीं चावल नहीं तो कहीं दाल के लाले हैं, अब तो बच्चों ने भी गुल्लक फोड़ डाले हैं, दवा के वास्ते तो बहनों ने जेवर बेच डाले हैं, कहने को तो यहां दुकानों में ताले हैं, किस बाजार में फिर इंसानियत बेच डाले हैं..। हालात से जूझ रहे बाजार में पर्दे, चादर बेचने वाले अमीर अहमद बताते हैं कि बाजपुर का हाट बाजार मुरादाबाद, ठाकुरद्वारा, काशीपुर, रामपुर, रामनगर तक मशहूर था और बड़ा बाजार होने की वजह से सस्ते के कारण पूरे क्षेत्र का ग्राहक सोमवार को आता था, लेकिन कोरोना के चलते महीनों से उनकी कपड़े की गठरिया नहीं खुली है और वर्तमान में करीब डेढ़ लाख रुपये का कर्ज है और वह जमा पूंजी खा चुके हैं। आयूब भाई कपड़े वाले बताते हैं कि प्रशासन को हाट बाजार खुलवाने चाहिए जिसमें बाहरी दुकानदारों पर प्रतिबंध लगाकर सामाजिक दूरी का नियम पूरा करवाया जा सकता है। ऐसा होने से लोग अपने बच्चों को पाल सकेंगे अन्यथा अब लोग कोरोना से मर रहे हैं, फिर आíथक तंगी से जा सकते हैं, क्योंकि जब भी बाजार खुलेगा होलसेलर अपना पैसा ले जाएगा और आगे उसे माल मिलेगा नहीं। ऐसे में उसका परिवार चलेगा नहीं तो हालात खराब होंगे। इसी प्रकार सब्जी, फल, किराना आदि के विक्रेताओं का भी कहना है कि साप्ताहिक बाजार नहीं लगने के कारण बाजार में 20 से 30 प्रतिशत तक सामान महंगा मिल रहा है। प्रशासन दो भागों में साप्ताहिक बाजार लगवा समस्या का समाधान कर सकता है।

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