श्रम नियमावली के विरोध में श्रमिकों का प्रदर्शन
रुद्रपुर में श्रमिकों ने केंद्र सरकार के विरोध में किया प्रदर्शन। श्रम कानूनों में किए गए संशोधन से हैं नाराज।
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : श्रमिकों ने केंद्र सरकार की ओर से 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार नियमावली में समेटने का पुरजोर विरोध किया है। उन्होंने डीडी चौक स्थित सुमेर शुक्ला पार्क में धरना-प्रदर्शन कर रोष जताया। साथ ही कहा कि यदि यह कानून लागू हुआ तो श्रमिकों का शोषण होगा। सरकारी संस्थानों का निजीकरण होने से वहां कार्यरत मजदूरों के हक अधिकार भी समाप्त हो जाएंगे।
श्रमिक संयुक्त मोर्चा के बैनर तले गुरुवार को सुमेर शुक्ला पार्क में विभिन्न श्रमिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने सभा कर प्रदर्शन किया। इसके बाद शहर में जुलूस निकाला। मोर्चा अध्यक्ष दिनेश तिवारी ने कहा कि श्रम कानूनों में नियमित का प्रावधान खत्म कर भीम ट्रेनिग, वाइएसएफ, फिक्स्ड टर्म लाकर मजदूरों को बंधुआ मजदूरी की ओर धकेला जा रहा है। वर्तमान में 12 घंटे का नियम लागू होने से पहले से ही बुरी स्थिति है। अब और ज्यादा खराब हो जाएगी। इंकलाबी मजदूर केंद्र के सचिव दिनेश चंद्र ने कहा कि श्रम संशोधनों के प्रावधानों में हड़ताल करने शोषण के खिलाफ संघर्ष व यूनियन बनाने के संबंध में जो बदलाव किए हैं, उसे मजदूरों की पहले से कम समझौता शक्ति कम होगी। साथ ही मजदूर 100 साल पीछे की स्थिति में चले जाएंगे। मजदूर संघर्ष अभियान की ओर से सुरेंद्र सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस में मजदूरों के श्रम अधिकारों में कटौती कर आपदा को अवसर में तब्दील करने को केंद्र सरकार की साजिश का पुरजोर विरोध करेंगे।
धरना देने वालों में हरेंद्र सिंह, महेंद्र, कर्मकार यूनियन से कुलविदर, निरंजन लाल, चंदन सिंह, दर्शन लाल, कमलेश कार्की, महेंद्र राणा, उदय सिंह, महावीर, गोविद सिंह आदि शामिल थे।