शौचालय से वंचित हैं 20 हजार परिवार

भारत सरकार द्वारा खुले में शौच मुक्त भारत की परिकल्पना आठ वर्ष बाद भी साकार नहीं हो सकी है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 19 Mar 2021 05:46 PM (IST) Updated:Fri, 19 Mar 2021 11:44 PM (IST)
शौचालय से वंचित हैं 20 हजार परिवार
शौचालय से वंचित हैं 20 हजार परिवार

संवाद सहयोगी, बाजपुर : भारत सरकार द्वारा खुले में शौच मुक्त भारत की परिकल्पना आठ वर्ष बाद भी ऊधमसिंह नगर में साकार होती नजर नहीं आ रही है। जनपद में 20 हजार परिवार खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं। जिले में चार हजार लोगों को पुराने सर्वे के आधार पर शौचालय नहीं मिल पाए हैं, वहीं लगभग डेढ़ हजार लोगों की नई सूची केंद्र सरकार को भेजी गई है।

केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2012 में देश के प्रत्येक राज्य में शौचालयों के निर्माण हेतु सर्वेक्षण करवाया गया, जिसमें उत्तराखंड में तत्कालीन सरकार द्वारा कार्य को अंजाम दिया गया। इसी कड़ी में ऊधमसिंह नगर के अंदर 70472 शौचालयों के निर्माण की बात कही गई। केंद्र में सत्ता परिवर्तन के साथ ही शौचालयों के निर्माण को मुख्य मुद्दा बनाया गया और 2018 तक जनपद में 68 हजार से अधिक शौचालयों का निर्माण कर दिया गया। इधर 4 हजार से भी अधिक पात्रों को आज तक स्वजल विभाग खोज ही नहीं पाया जिसके चलते उनके शौचालय नहीं बन पाए हैं। यदि बात करें वर्तमान समय की तो जनपद में लगभग 20 हजार ऐसे परिवार सामने आए हैं जिन्हें शौचालय की दरकार है। इनमें 1500 से अधिक लोगों की सूची अनुमोदित हो चुकी है, जिसे भारत सरकार को भेजा गया है। नए वित्तीय वर्ष में इन शौचालयों की स्वीकृति संभव है। वहीं 18 हजार से अधिक लोगों की सूची सत्यापित करने का कार्य पाइप लाइन में है। प्रत्येक ग्राम पंचायत व खंड विकास कार्यालय के माध्यम से पात्रों का सत्यापन करवाया जा रहा है, लेकिन तमाम मशक्कत के बाद भी दशकों से जनपद में रह रहे लोगों ने सर्वे पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिया है। लोगों का दावा है कि राजनैतिक व व्यक्तिगत कारणों से तत्कालीन ग्राम प्रधानों द्वारा सर्वे में उनके नाम नहीं लिखवाए गए जिस कारण वह आज भी खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं। अनेक लोगों का यह भी दावा है कि सर्वे में नाम होने के बावजूद भी उन्हें शौचालय का लाभ नहीं मिला है।

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:::::::रीडर कनेक्ट

चित्र परिचय : 19 बीजेपी-पी 01 से 20 तक। जागरण

संस, बाजपुर : जागरण टीम ने पड़ताल अभियान के तहत जब स्थलीय निरीक्षण किया तो केवल ग्राम पंचायत बेरियादौलत क्षेत्र में 40 से 50 ऐसे परिवार सामने आए जिनके घरों में शौचालय नहीं थे। अधिकांश परिवारों के समक्ष आवास की भी समस्या देखी गई। इन परिवारों से जब बात की गई तो सरकार व सरकारी सिस्टम के खिलाफ उनका दर्द खुलकर सामने आ गया। इन्हीं में से कुछ लोगों ने इन शब्दों में अपने विचार रखे।

बूढ़ी मां सुंदर देवी के साथ रह रहे ग्राम बेरिया दौलत निवासी दिव्यांग जगदीश ने कहा किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं। उनके पास कच्चा घर है और शौच के लिए जंगल जाना पड़ता है। जनप्रतिनिधियों के माध्यम से कई बार फार्म भरे, परंतु शौचालय के लिए पैसा नहीं मिला। इसी प्रकार मालाफार्म कल्याणपुर निवासी बुजुर्ग केहर सिंह व उनकी पत्नी महेंद्र कौर की समस्या भी कम नहीं है। शौच के लिए जंगल जाने के लिए मजबूर बुजुर्ग दंपती ने कहा कि नजर भी कमजोर हो चली है, फिर भी बाहर शौच को जाना पड़ता है। इसी प्रकार बेरिया दौलत हाल्ट, बुक्सार, हरिजन कालोनी, लालपुरी, कल्याणपुरी, खतौली, मझरा पच्चू, तोता बेरिया आदि जगहों पर भी तमाम परिवारों की खुले में शौच जाने समस्या है।

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इंसैट::

ं इन परिवारों के यहां नहीं मिले शौचालय

बाजपुर : ग्राम पंचायत बेरिया दौलत के अंतर्गत दशकों से निवासरत जसवंत सिंह, संजय सिंह, सुखदेव सिंह, भूरा सिंह, जसवीर सिंह, जसविदर सिंह, मलखान सिंह, जगदीश सिंह, लाखन सिंह, धर्म सिंह, अमर सिंह, जगत सिंह, प्रेम सिंह, सुखदेव सिंह, शिवचरन, कुलदीप सिंह, भूपेंद्र सिंह, तार कौर, गुरदीप सिंह, केहर सिंह, करन सिंह, राममूíत, बाबू सिंह, किशन सिंह, मन्ना देवी, तुलसी, फूल सिंह, भूप सिंह, राधेश्याम, गोपाल सिंह, भिकारी सिंह, सुरेश, नरेश, रमेश, विशन, कृष्णा, रूपवती, बलजीत कौर, गुरदयाल सिंह, दौल सिंह, चरन सिंह आदि परिवारों के यहां शौचालय नहीं मिले। इनके अलावा भी तमाम परिवार इस लाभ से वंचित हैं।

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प र्व में बने शौचालयों की गुणवत्ता पर भी उठ रहे सवाल

बाजपुर : ग्रामीणों की मानें तो गांव में जो शौचालय ठेकदार इत्यादि के माध्यम से बनवाए गए हैं, उनमें केवल खानापूíत कर पैसे की खपत की गई है। हकीकत यह है कि यह शौचालय प्रयोग करने लायक नहीं हैं। घर में शौचालय बना होने के बावजूद इन परिवारों को खुल में शौच को जाना पड़ रहा है।

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कई लोगों ने कर्ज लेकर बनवाए शौचालय

बाजपुर : जागरण पड़ताल के दौरान तमाम परिवार ऐसे भी मिले जिन्होंने शौचालय के लिए फार्म भरने के बाद जनप्रतिनिधियों व स्थानीय अधिकारियों द्वारा भरोसा दिलाए जाने पर कर्ज इत्यादि लेकर शौचालयों का निर्माण करवा दिया, लेकिन बाद में स्थलीय सर्वे हुआ तो घर में पूर्व से ही शौचालय बना होने की बात सामने आने पर उनके नाम से आया पैसा वापस चला गया। ऐसे में अब इन परिवारों को कर्ज उतारने के लिए धनराशि की व्यवस्था नहीं हो पा रही है।

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कैसे छूटे परिवार, एसआइटी से करवाई जाए जांच

बाजपुर : बेरिया दौलत के बीडीसी सदस्य राजेंद्र सिंह संधू ने कहा है कि आज प्रशासन वर्ष 2012 के सर्वे के आधार पर जनपद के ओडीएफ होने की बात कह रहा है, लेकिन कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि दशकों से रह रहे परिवार इस योजना का लाभ पाने से कैसे वंचित रह गए। इनमें से बहुत से परिवार ऐसे भी हैं जिनके फार्म कई-कई बार भरे जा चुके हैं। उन्होंने इस मामले की एसआइटी से जांच करवाने की मांग की है। ========

:::::: वर्जन

वर्ष 2012-13 के सर्वे के अनुसार वर्ष 2017-18 तक सभी पात्रों को शौचालय मुहैया कराकर जनपद को ओडीएफ घोषित किया गया इसके बाद से लगभग 35 प्रतिशत आबादी की वृद्धि हुई। पहाड़ व उप्र से अधिकांश लोग आकर जनपद के निवासी बने हैं, ऐसे में 1519 लोगों की सूची तैयार हो चुकी है। लगभग 500 लोगों का पैसा भी आ चुका है जिनके शौचालय बनवाए जा रहे हैं, बाकी लोगों का पैसा अगले वित्तीय वर्ष में प्राप्त हो जाएगा। वर्तमान में लगभग 18 हजार और नए प्रार्थनापत्र आए हैं जिनका संबंधित ब्लाक से सत्यापन कराया जा रहा है। कार्रवाई पूर्ण होने के उपरांत सूची केंद्र को भेजी जाएगी।

-हिमांशु जोशी, जिला परियोजना अधिकारी स्वजल

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