पहाड़ में फिर प्रचंड होने लगी जंगल की आग

जागरण टीम, गढ़वाल: कुछ दिन तक जंगल की आग शांत रहने के बाद पर्वतीय जिलों में जंगल फिर से धधकने लगे है

By JagranEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 06:37 PM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 06:37 PM (IST)
पहाड़ में फिर प्रचंड होने लगी जंगल की आग
पहाड़ में फिर प्रचंड होने लगी जंगल की आग

जागरण टीम, गढ़वाल: कुछ दिन तक जंगल की आग शांत रहने के बाद पर्वतीय जिलों में जंगल फिर से धधकने लगे हैं। रविवार को नई टिहरी मुख्यालय समेत चंबा, घनसाली के जंगलों में आग प्रचंड हो गई। जबकि कोटद्वार में कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य पहाड़ में लगी आग शनिवार शाम सिद्धबली मंदिर तक पहुंच गई। वहीं, रामणी-पुलिडा के जंगलों में हवा के साथ आग की लपटें विकराल रूप लेने लगी हैं।

नई टिहरी में बीती शनिवार रात को जिला मुख्यालय के समीप बुडोगी के जंगल में आग लग गई। आग लगने की सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और आग बुझाने में जुटी रही। वहीं चंबा, घनसाली के कुछ जगहों पर भी जंगल में आग लगी है। मुख्यालय के समीप के जंगल आग लगते ही वन विभाग की टीम आग बुझाने मौके पर पहुंची इस दौरान वनाधिकारी कोको रोसे भी मौके पर ही डटे रहे। काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। वहीं आग के कारण मुख्यालय सहित आस-पास धुंध छाया रहा। पिछले पंद्रह दिनों से जिले के अधिकांश जंगल आग की चपेट में थे लेकिन पांच दिन पहले हुई बारिश से आग शांत हो गई थी,लेकिन बीती शनिवार जंगलों में फिर से आग लग गई।

कोटद्वार : दो दिन पूर्व असामाजिक तत्वों ने कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य व रामीण-पुलिडा के जंगल में आग लगा दी थी। धीरे-धीरे आग ने पूरे पहाड़ को चपेट में ले लिया है। स्थिति यह थी कि कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य पहाड़ में लगी आग अचानक सिद्धबली मंदिर परिसर के पास पहुंच गई। मंदिर समिति व वन कर्मियों ने एकजुट होकर आग पर काबू पाया। वहीं, रामणी-पुलिडा के जंगलों में लगी आग तेजी से बढ़ने लगी है। ग्रामीण सुदर्शन सिंह, संगीता देवी, रजनी देवी ने बताया कि आग लगने से पूरे पहाड़ राख में तब्दील हो चुके हैं। वन संपदा पूरी तरह खाक हो गई है। जंगल जलने के बाद मवेशियों के लिए चारापत्ती का संकट हो गया है। आग से जंगलों के कई प्राकृतिक स्त्रोत भी सूख चुके हैं। ऐसे में कई ग्राम सभाओं में पेयजल संकट भी खड़ा होने लगा है।

चोपड़ा: तल्लानागपुर क्षेत्र अधिकांश जंगल आग की चपेट में हैं। उत्तर्सू व कुरझण के बांज के जंगल में वन संपदा को काफी नुकसान हुआ। जिससे क्षेत्र में चारापत्ती व इमारती लकडि़यों की समस्या पैदा हो गई है। इसके अलावा जंगली जानवरों का भय भी क्षेत्र में बढ़ गया है। कुरझण के बाद जैसे ही बजूण के जंगल आग की चपेट में आने लगे, तो बजूण के युवाओं ने आग पर काबू पाने के लिए पूरा प्रयास शुरू कर दिया। समाजिक कार्यकत्र्ता गोपाल सिंह ने बताया कि बजूण के युवाओं ने साहस का परिचय दिया है। आग बुझाने में मोहन सिंह, विकास, जगमोहन, प्रकाश सिंह, अनुसूया नेगी शामिल थे।

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