10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस प्रसिद्ध पर्यटक स्थल की सुंदरता पर गंदगी का ग्रहण, जानिए

प्रसिद्ध पर्यटक स्थल नागटिब्बा विकास समिति और वन विभाग में तालमेल का अभाव होने से इस पर्यटक स्थल की सुंदरता को कायम रखने में परेशानी हो रही है। यहां पर बड़ी संख्या में बाहर से पर्यटक ट्रैकर आते हैं लेकिन उनका कोई लेखा-जोखा नहीं है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Fri, 20 Nov 2020 12:57 PM (IST) Updated:Fri, 20 Nov 2020 03:41 PM (IST)
10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस प्रसिद्ध पर्यटक स्थल की सुंदरता पर गंदगी का ग्रहण, जानिए
इस प्रसिद्ध पर्यटन स्थल की सुंदरता पर गंदगी का ग्रहण। जागरण

टिहरी, जेएनएन। प्रसिद्ध पर्यटक स्थल नागटिब्बा विकास समिति और वन विभाग में तालमेल का अभाव होने से इस पर्यटक स्थल की सुंदरता को कायम रखने में परेशानी हो रही है। यहां पर बड़ी संख्या में बाहर से पर्यटक ट्रैकर आते हैं लेकिन उनका कोई लेखा-जोखा नहीं है। यहां पर पर्यटकों का मनमाने ढंग से आवागमन होता है जिससे यहां के पर्यावरण को भी क्षति पहुंच रही है। वहीं इस पर्यटक स्थल में घूमने के लिए शुल्क नहीं लिए जाने से राजस्व की भी हानि हो रही है। 

दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह पर्यटक स्थल प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में शुमार है। सड़क मार्ग से यह करीब सात किमी दूर है। यहां हर साल बड़ी संख्या में देश-विदेश से पर्यटक और ट्रैकर पहुंचते हैं। पर यहां पर समिति व वन विभाग में तालमेल के अभाव में गंदगी का अंबार लगा रहता है। पर्यटकों के लिए कोई नियम नहीं होने से पर्यटक और ट्रैकर्स बेरोक- टोक कभी भी इस स्थल पर आते-जाते रहते हैं। यह स्थल जैव विविधता के लिए भी प्रसिद्ध है। पर्यटन के लिहाज से यह क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन यहां घूमने आने वालों का कोई रिकॉर्ड नहीं रहता है। विभाग की ओर से भी अभी तक इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किए गए। 

अभी कुछ दिन पहले देहरादून से चार पर्यटक यहां पहुंचे थे और वापसी के दौरान रास्ता भटक गए। इन्हें अगले दिन वन विभाग की टीम ढूंढकर सुरक्षित वापस लाई। पर्यटकों के लिए वन विभाग या समिति द्वारा कोई नियम नहीं बनाए जाने के कारण पर्यटक यहां पर काफी संख्या में गंदगी करते हैं। प्लास्टिक और पॉलीथीन जगह-जगह बिखरी रहती है, जिस कारण जिस कारण इस रमणीक स्थल की खूबसूरती खराब हो रही है। वहीं, पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है। इस स्थान पर बड़ी संख्या में गुर्जर और भेड़पालक चुगान के लिए पहुंचते हैं उनके लिए भी कोई रोक नहीं होने से इस स्थल की सुंदरता प्रभावित हो रही है। यहां पर मोरु, बांज, बुरांश का मिश्रित जंगल है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत पिछले साल जब यहां आए तो उन्होंने इसे पर्यटक हब के रूप में विकसित करने की बात की, लेकिन अभी तक इस दिशा में प्रयास नहीं हुए।

नागटिब्बा की विशेषताएं 

इस स्थल पर प्रतिवर्ष देश-विदेश के श्रद्धालु पहुंचते हैं।  नागटिब्बा से मसूरी, देहरादून साफ दिखाई देता है। हरा-भरा घास का मैदान है। सर्दियों में अधिकांश समय यहां पर बर्फ जमी रहती है। 

नागटिब्बा विकास समिति के अध्यक्ष देवेंद्र पंवार का कहना है कि जल्द ही यहां आने वाले पर्यटकों का लेखा-जोखा तैयार किया जाए। साथ ही नागटिब्बा विकास समिति और आस-पास के ग्रामीणों के साथ बैठक कर यहां पर अन्य गतिविधियों को आगे बढ़ाया जाएगा।कहकशा नसीमडीएफओ मसूरी- समिति की ओर से पूरा प्रयास किया जाता है कि इस स्थल पर आने वाले पर्यटक गंदगी न करें। लेकिन यह स्थान फारेस्ट के अंतर्गत आने के कारण वन विभाग का सहयोग भी इसमें जरूरी है पर्यावरण को नुकसान न पहुंच सके। 

यह भी पढ़ें: अब फरवरी तक नींद में रहेंगे दून चिड़ियाघर के रेप्टाइल, जानें- कौन-कौन सी प्रजातियां हैं मौजूद

chat bot
आपका साथी