टिहरी झील लबालब, रिकार्ड बिजली उत्पादन की उम्मीद; पिछले साल सितंबर में हुआ था 322 मिलियन यूनिट उत्पादन
Tehri Lake water level झील 830 मीटर जलस्तर के कारण इन दिनों लबालब भरी हुई है। इससे टिहरी बांध से बिजली का उत्पादन भी ज्यादा हो रहा है। सितंबर की बात करें तो पिछले साल टिहरी बांध से 322 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ था।
जागरण संवाददाता, नई टिहरी। Tehri Lake water Level टिहरी बांध की झील 830 मीटर जलस्तर के कारण इन दिनों लबालब भरी हुई है। इससे टिहरी बांध से बिजली का उत्पादन भी ज्यादा हो रहा है। सितंबर की बात करें तो पिछले साल टिहरी बांध से 322 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ था। इस वर्ष झील का जलस्तर बढ़ने के कारण पांच दिन पहले ही टीएचडीसी (टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन) ने 322 मिलियन यूनिट का आंकड़ा छू लिया है। उम्मीद है कि इस बार सितंबर माह में रिकार्ड 400 मिलियन यूनिट से ज्यादा बिजली का उत्पादन हो सकता है।
टीएचडीसी ने शनिवार को पिछले वर्ष हुए सितंबर माह के बिजली उत्पादन की बराबरी कर ली। रविवार को पिछले साल सितंबर माह में हुए उत्पादन से ज्यादा बिजली उत्पन्न हो जाएगी। बीते शुक्रवार को टीएचडीसी ने 24 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया। इससे एक दिन में लगभग 12 करोड़ का राजस्व आया। शनिवार रात तक टिहरी बांध से 22 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। जिससे 11 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया जाएगा। अभी पिछले 15 वर्ष के इतिहास में टीएचडीसी ने किसी भी महीने में 400 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं किया है। टीएचडीसी अधिकारियों के मुताबिक सितंबर माह के बाद अक्टूबर माह में भी झील का जलस्तर 830 मीटर के आसपास रहेगा। ऐसे में अक्टूबर में भी ज्यादा उत्पादन होने की उम्मीद है।
टीएचडीसी भागीरथीपुरम कांप्लेक्स के अधिशासी निदेशक यूक सक्सेना ने बताया कि झील का जलस्तर बढ़ने से हमने इस बार ज्यादा पानी स्टोर किया है। जिसका लाभ हमें मानसून खत्म होने के बाद भी मिलेगा। इस बार सितंबर माह में सर्वाधिक बिजली उत्पादन होने की उम्मीद है।
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नार्दन ग्रिड से ज्यादा की जाती है डिमांड
टीएचडीसी अधिकारियों के मुताबिक मानसून के सीजन में रन आफ रीवर वाले बांधों में सिल्ट से उत्पादन बेहद कम हो जाता है। ऐसे में जलाशय वाले बांधों से ज्यादा बिजली मांगी जाती है। टिहरी बांध में भी मानसून या उसके बाद जब झील का जलस्तर उच्च स्तर पर रहता है तो नार्दन ग्रिड से ज्यादा बिजली की डिमांड की जाती है। उसके बाद जलस्तर कम होने के बाद डिमांड में भी कमी आती है।
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