Pravasi Bhartiya Diwas 2021: गरीबी में गांव छोड़ विदेश गए, फहराया परचम

टिहरी जिले के थातीकठूड़ बूढ़ा केदार निवासी शूरवीर सिंह तोमर अपने क्षेत्र के ऐसे पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने रोजगार के लिए विदेश का रूख किया। इसकी वजह रही क्षेत्र में संसाधनों का अभाव और परिवार की जिम्मेदारी का बोझ।

By Edited By: Publish:Thu, 07 Jan 2021 02:58 AM (IST) Updated:Thu, 07 Jan 2021 02:58 AM (IST)
Pravasi Bhartiya Diwas 2021: गरीबी में गांव छोड़ विदेश गए, फहराया परचम
लंदन भ्रमण के दौरान एक रेस्टोरेंट में विदेशी पर्यटकों के साथ शूरवीर सिंह (बीच में)।

मधुसूदन बहुगुणा, नई टिहरी। जिले के थातीकठूड़ बूढ़ा केदार निवासी शूरवीर सिंह तोमर अपने क्षेत्र के ऐसे पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने रोजगार के लिए विदेश का रूख किया। इसकी वजह रही क्षेत्र में संसाधनों का अभाव और परिवार की जिम्मेदारी का बोझ। करीब पांच साल तक उन्होंने माल्टा के एक होटल में नौकरी की और फिर मस्कट (ओमान) चले गए। वहां होटल में कुक के रूप में काम करने के दौरान ही उन्हें सुल्तान के किचन में भी काम करने का मौका मिला। मस्कट में शूरवीर ने जीवन के करीब 30 साल बिताए। इस दौरान उन्होंने सुल्तान के साथ करीब 15 देशों का भ्रमण भी किया। वर्तमान में वह परिवार के साथ दिल्ली में रह रहे हैं।

सुल्तान के साथ बदला जीवन 

65 वर्षीय शूरवीर वर्ष 1984-85 में नौकरी के लिए माल्टा चले गए थे। तब उनकी उम्र करीब 23 साल थी। चार-पांच साल बाद वह मुंबई वापस लौटे और यहां होटल एंबेसडर में काम किया। इसी अवधि में ओमान के सुल्तान का कुक स्टाफ मुंबई पहुंचा और होटल एंबेसडर में ही भोजन किया। इससे स्टाफ इस कदर प्रभावित हुआ कि उन्हें अपना पता देकर मस्कट आने को कहा। इसके बाद शूरवीर मस्कट चले गए और सुल्तान के किचन में बतौर कुक काम करने लगे। जीवन में बदलाव आया तो फिर वे परिवार को भी साथ ले गए। उनके बच्चे भी मस्कट में ही पले-बढ़े हैं। सालों तक सुल्तान के साथ काम करने की वजह से वह महल के खास कर्मचारियों में शामिल हो गए। 

गरीब की मदद को रहते हैं हमेशा तत्पर

शूरवीर के रिश्तेदार बूढ़ा केदार निवासी भूपेंद्र नेगी बताते हैं कि सुल्तान जहां भी भ्रमण पर जाते, शूरवीर भी उनके साथ रहते। इससे गांव में उनका परिवार भी संपन्न हो गया। जब भी वह गांव आते, सभी गांव वालों के लिए कुछ न कुछ गिफ्ट अवश्य लाते। इतना ही नहीं, वे गांव में गरीब लोगों की मदद को भी तत्पर रहते। कई बार तो बाहर से ही रिश्तेदारों को पैसे भिजवाते थे।

सुविधाओं के घोर अभाव में छोड़ा गांव

शूरवीर कहते हैं कि 35-40 साल पहले जब गांव में सुविधाओं का घोर अभाव था और रोजगार के कोई साधन नहीं थे, तब उन्होंने बाहर का रूख किया। आज उन्हें देखकर क्षेत्र के पांच-छह सौ लोग बाहर होटल या अन्य स्थानों पर रोजगार कर रहे है। उनका दिल्ली में अपना मकान है और वर्तमान में वह परिवार के साथ वहीं रहते हैं। उनका बड़ा बेटा कुलदीप सिंह इंजीनियर है और परिवार के साथ सिडनी में रहता है। दूसरे बेटे प्रदीप ने होटल मैनेजमेंट किया है और एक होटल में अधिकारी है।

शूरवीर ने खोली युवाओं के विदेश जाने की राह

शूरवीर ने करीब 30 साल मस्कट में बिताए। वहां वे सुल्तान कबूस बिन सैद अल-सईद के साथ रहे। खास स्टाफ में शुमार होने के कारण उन्होंने सुल्तान के साथ करीब 15 देशों का भ्रमण भी किया। वर्ष 2016 में वह मस्कट से स्वदेश लौटे और परिवार के साथ दिल्ली में रह रहे हैं। उनके बाद क्षेत्र के कई युवा रोजगार के लिए विदेश जाने लगे। क्षेत्र में भी अकसर यही चर्चा होती थी कि शूरवीर विदेश में राजा के साथ रहता है।

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