नीलकंठ गंगा परिक्रम यात्रा देवप्रयाग पहुंची

संवाद सूत्र, देवप्रयाग : त्रिवेणी संगम प्रयागराज से शुरू हुई विश्व की पहली नीलकंठ गंगा परिक्रमा पदय

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 06:39 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 06:39 PM (IST)
नीलकंठ गंगा परिक्रम  यात्रा देवप्रयाग पहुंची
नीलकंठ गंगा परिक्रम यात्रा देवप्रयाग पहुंची

संवाद सूत्र, देवप्रयाग : त्रिवेणी संगम प्रयागराज से शुरू हुई विश्व की पहली नीलकंठ गंगा परिक्रमा पदयात्रा 5500 किमी पूरी कर गंगा तीर्थ देवप्रयाग पहुंची। पदयात्रा जल्दी ही गिनीज बुक आफ व‌र्ल्ड रिकार्ड में दर्ज भी होगी।

राष्ट्रीय नदी गंगा को निर्मल व अविरल बहने के संदेश के साथ 16 दिसंबर 2020 को प्रयागराज से नीलकंठ गंगा परिक्रमा पद यात्रा की शुरुआत हुई थी। गंगा को जीवित प्राणी मानते इसको किसी भी परिस्थिति में नही लांघने के संकल्प के साथ यात्रा में दो ही साहसी पद यात्री पाटिया अल्मोड़ा के 65 वर्षीय सेनि. कर्नल आरपी पांडे व अहमदाबाद गुजरात के 64 वर्षीय किसान हिरेन भाई पटेल ही इसमें रहे गए। युवाओं को गंगा का सदा रहे साथ का संदेश देती इस जोड़ी ने एक दिन में 40 से अधिक किमी यात्रा तय करती हुई चली है। दोनों के अनुसार प्रयागराज से शुरू अनोखी पदयात्रा पहले गंगा सागर तक गयी जहां यज्ञ करते गोमुख से चली गंगा के वहां तक निर्मल, अविरल पहुंचने की प्रार्थना की गयी। यहां से बंगाल, झारखंड, बिहार, उप्र होते यात्रा गंगा के मायके उत्तराखंड तक पहुंची। उम्र को दर किनार करते दोनों ने भागीरथी को पार नही करने के संकल्प के चलते गंगनानी से हर्षिल तक की करीब 22 किमी की दुर्गम घाटी क्षेत्र को पार कर 16 मई को गंगोत्री तक पहुंचे। कोरोना के चलते यहां यात्रा स्थगित करनी पड़ी जो 18 सितम्बर को फिर से शुरू हुई। देवप्रयाग मे साढे 5 हजार किमी पूरी हुई। कर्नल पांडे के अनुसार यहां से बदरी केदार के पुराने पैदल मार्ग होकर 1100 किमी की शेष पद यात्रा ऋषिकेश हरिद्वार होते प्रयागराज में पूरी होगी। प्राचीन काल से अभी तक गंगा को पार किये बिना उसकी परिक्रमा का कोई उल्लेख नहीं मिलता है ऐसे में नीलकंठ गंगा परिक्रमा पदयात्रा के जरिये उस नये मार्ग की ऐतिहासिक खोज हुई है।

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