Human-Leopard Conflict: गुलदार के हर कदम पर सैटेलाइट की नजर, 150 किमी का तय कर चुका है सफर

Human-Leopard Conflict मानव-गुलदार संघर्ष रोकने के लिए वन विभाग ने पहली बार टिहरी में गुलदार को रेडियो कॉलर लगाया है। सैटेलाइट के जरिये अब गुलदार की निगरानी की जा रही है। फरवरी से अभी तक गुलदार डेढ़ सौ किलोमीटर से ज्यादा सफर तय कर चुका है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Thu, 25 Mar 2021 09:51 AM (IST) Updated:Thu, 25 Mar 2021 09:51 AM (IST)
Human-Leopard Conflict: गुलदार के हर कदम पर सैटेलाइट की नजर, 150 किमी का तय कर चुका है सफर
गुलदार के हर कदम पर सैटेलाइट की नजर।

अनुराग उनियाल, नई टिहरी। Human-Leopard Conflict मानव-गुलदार संघर्ष रोकने के लिए वन विभाग ने पहली बार टिहरी में गुलदार को रेडियो कॉलर लगाया है। सैटेलाइट के जरिये अब गुलदार की निगरानी की जा रही है। फरवरी से अभी तक गुलदार डेढ़ सौ किलोमीटर से ज्यादा सफर तय कर चुका है। वन विभाग का कहना है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने में गुलदार के व्यवहार को जानना बेहद जरूरी है।

टिहरी वन प्रभाग के भिलंगना क्षेत्र में बीते फरवरी माह में गुलदार एक मुर्गी फार्म में घुस गया था, जिसके बाद वन विभाग ने उसे ट्रैंकुलाइज कर पकड़ा था। वन मुख्यालय के निर्देश पर वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की टीम ने गुलदार को रेडियो कॉलर लगाया। उसके बाद दोबारा गुलदार को जंगल में छोड़ दिया गया। अब गुलदार की हर हरकत की जानकारी सैटेलाइट के जरिये वन विभाग को मिल रही है।

इस दौरान गुलदार लगभग 100 किमी से ज्यादा का सफर तय कर चुका है। इस दौरान जहां से गुलदार को पकड़ा, वहां पर भी गुलदार एक बार गया। गुलदार 27 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में ही घूम रहा है। हालांकि इस दौरान गुलदार ने किसी पर हमला नहीं किया है।

प्रदेश में सात गुलदार की हो रही है मॉनिटिरिंग

मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने बताया कि मौजूदा वक्त में प्रदेश में सात गुलदार पर रेडियो कॉलर लगाया गया है। मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए यह किया जा रहा है। रेडियो कॉलर से गुलदार के वासस्थल और उसके व्यवहार में आ रहे अंतर के बारे में काफी जानकारी मिलेगी। लंबे समय के अध्ययन के बाद इस जानकारी को आधार बनाकर मानव वन्यजीव संघर्ष में कमी लाने की कार्ययोजना तैयार की जाएंगी।

मख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहागा ने बताया कि टिहरी में एक गुलदार को रेडियो कॉलर लगाया गया है। उसके बारे में काफी जानकारी मिल रही है। अभी तक 100 किलोमीटर के दायरे में घूम चुका है। लगभग दो साल तक उसकी मॉनिटिरिंग की जाएगी।

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