श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरूप दी जाती है हरियाली

जनपद टिहरी गढ़वाल के अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर बसे देवप्रयाग के चंद्रकूट पर्वत पर सिद्धपी

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 11:23 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 11:23 PM (IST)
श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरूप दी जाती है हरियाली
श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरूप दी जाती है हरियाली

जनपद टिहरी गढ़वाल के अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर बसे देवप्रयाग के चंद्रकूट पर्वत पर सिद्धपीठ मां चंद्रबदनी का मंदिर है। समुद्र तल से आठ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सिद्धपीठ के प्रति स्थानीय के साथ ही अन्य जिलों के श्रद्धालुओं की भी बड़ी आस्था है। चैत्र नवरात्रि के अवसर पर यहां मेला भी आयोजित होता है। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। सिद्धपीठ के दर्शन करके यहां माता को चुनरी और नारियल अर्पित किया जाता है। प्रसाद स्वरूप अपने साथ नारियल का प्रसाद भी ले जाते हैं। महातम्य- सिद्धपीठ चंद्रबदनी में भुवनेश्वरी श्रीयंत्र की भी पूजा होती है। मां के चंद्र समान मुख के दर्शन से ही इस स्थान का नाम चंद्रबदनी पड़ा। संतान प्राप्ति के लिए इस सिद्धपीठ में श्रद्धालु विशेष पूजा करते हैं। वैसे तो हर समय दूर-दराज क्षेत्रों से पूजा के लिए श्रद्धालु इस सिद्धपीठ में आते हैं। लेकिन, नवरात्रि पर मंदिर में पूजा-अर्चना का विशेष फल मिलता है। चैत्र नवरात्रि पर मंदिर में जौ बो कर हरियाली डाली जाती और नवमी पर हरियाली काटकर श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में दी जाती है। इस स्थान से हिमालय सहित अन्य धार्मिक स्थलों के भी दर्शन होते हैं। वर्ष भर श्रद्धालुओं के लिए यहां कपाट खुल रहते हैं जिससे लोग किसी भी समय आसानी से सिद्धपीठ के दर्शन कर सकते हैं। महत्व

मंदिर की परंपरा के अनुसार सिद्धपीठ के पुजारी जनपद टिहरी गढ़वाल के ही पुजार गांव के भट्ट जाती के लोग होते हैं। सिद्धपीठ में श्रीयंत्र की केवल पुजारी ही पूजा करते है। मां शक्ति के प्रमुख सिद्धपीठों में से मां चंद्रबदनी सिद्धपीठ अपना अलग महत्व रखता है। ऋषिकेश से 65 किमी की दूरी तय कर नई टिहरी जिला मुख्यालय पहुंचा जाता है। यहां से करीब 50 किमी की दूरी तय कर जामणीखाल तक बस या टैक्सी से जाया जा सकता है। इसके बाद मंदिर तक करीब एक किमी की दूरी पैदल तय कर पहुंचा जाता है। देवप्रयाग से बस या छोटे वाहनों से भी आसानी से सिद्धपीठ तक पहुंचा जा सकता है।

कोरोना काल चल रहा है ऐसे में लोग गाइडलाइन का पालन करें। मंदिर में सुबह व शाम को माता की पूजा होती है। वैसे तो मंदिर के कपाट हर समय खुले रहते हैं। लेकिन, कोरोना काल में एहतियात बरती जा रही है।

दाताराम भट्ट, पुजारी चंद्रबदनी मंदिर - सिद्धपीठ में नवरात्रि पर काफी भीड़ होती है। कोरोना को देखते हुए मंदिर समिति की ओर से यहां पर व्यवस्थाएं बनाई गई है। इसके अलावा मंदिर में बिजली, पानी के अलावा रहने के लिए धर्मशाला बनाया गया है।

दुर्गा प्रसाद भट्ट, मंदिर प्रबंधक

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