धूप के बाद अब साबुन बेचकर संवार रहे आर्थिकी

संवाद सूत्र, नैनबाग: धात्री महिला स्वयं सहायता समूह नैग्याणा की महिलाएं तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर क

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 05:30 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 05:30 PM (IST)
धूप के बाद अब साबुन बेचकर संवार रहे आर्थिकी
धूप के बाद अब साबुन बेचकर संवार रहे आर्थिकी

संवाद सूत्र, नैनबाग: धात्री महिला स्वयं सहायता समूह नैग्याणा की महिलाएं तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं। महिला स्वयं सहायता समूह नहाने का साबुन बनाकर आर्थिकी संवार रही है। स्थानीय उत्पादों से तैयार किए जा रहे साबुन की डिमांड धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। इससे पहले भी महिला समूह ने स्थानीय उत्पादों से धूप व अगरबत्ती तैयार की थी, जो काफी सफल रहा। इसके बाद अब महिलाएं प्राकृतिक साबुन तैयार कर रही है।

बदरी रेंज के सहयोग से महिला समूह स्थानीय उत्पादों से नहाने का साबुन तैयार कर रही हैं। समूह में 17 महिलाएं जुड़ी हैं। महिलाएं खेती-बाड़ी व घर का काम करने के बाद जो समय बचता है, उसका सदुपयोग साबुन बनाने में कर रही हैं। उनका यह प्रयास भी सफल साबित हो रहा है। यह साबुन नेचुरल होने के कारण इसकी डिमांड भी बढ़ने लगी है। 45 रुपये पर पीस साबुन बाजार में बिक रहा है। वर्तमान में नैनबाग, मसूरी पंतवाड़ी आदि बाजारों में यह साबुन बिक रहा है और धीरे-धीरे अन्य जगह से भी इसकी डिमांड आ रही है। साबुन से महिला समूह करीब पांच सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से आय अर्जित कर रही हैं। स्थानीय जड़ी-बूटी व उत्पादों से तैयार किए जा रहे साबुन को काफी पसंद किया जा रहा है। महिला समूह एक दिन में करीब पांच किलो तक साबुन तैयार कर रहा है। खास बात यह है कि कोरोनाकाल में जहां लोग रोजगार को भटक रहे हैं और कई व्यक्तियों का रोजगार भी छिन गया वहीं महिला समूह स्वरोजगार अपनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं।

धात्री महिला स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष दीपिका का कहना है कि वे एक दिन में करीब पांच किलो तक साबुन तैयार कर रही है और स्थानीय बाजारों में साबुन बेचा जा रहा है। धीरे-धीरे अन्य महिलाओं को भी समूह में जोड़ा जा रहा है। - इन उत्पादों से तैयार किया जा रहा साबुन

गाय का गोबर, जैविक हल्दी, रीठा, मुल्तानी मिट्टी, भीमल। - गांव में धात्री महिला समूह का गठन कर उन्हें विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। इसके लिए विभाग की ओर से भी महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। इससे महिलाएं अपनी आर्थिकी भी संवार रही है।

मेधावी कीर्ति

रेंज अधिकारी, बदरी रेंज, वन विभाग

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