60 साल से पंवाड़ा गायन शैली के संरक्षण में जुटा ये साधक, पूर्व पीएम नेहरू के सामने भी दी थी 'केदार' की प्रस्तुति

प्रसिद्ध ढोल वादक शिवजनी 83 साल की उम्र में भी पहाड़ के लुप्त होती पंवाड़ा (राजा-महाराजा और वीर भड़ों के सम्मान में गाए जाने वाले वीर रस से ओतप्रोत गीत) गायन शैली को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए पूरे मनोयोग जुटे हुए हैं।

By Edited By: Publish:Thu, 03 Dec 2020 09:40 PM (IST) Updated:Fri, 04 Dec 2020 10:08 AM (IST)
60 साल से पंवाड़ा गायन शैली के संरक्षण में जुटा ये साधक, पूर्व पीएम नेहरू के सामने भी दी थी 'केदार' की प्रस्तुति
60 साल से पंवाड़ा गायन शैली के संरक्षण में जुटा एक साधक।

मधुसूदन बहुगुणा, नई टिहरी। प्रसिद्ध ढोल वादक शिवजनी 83 साल की उम्र में भी पहाड़ के लुप्त होती पंवाड़ा (राजा-महाराजा और वीर भड़ों के सम्मान में गाए जाने वाले वीर रस से ओतप्रोत गीत) गायन शैली को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए पूरे मनोयोग जुटे हुए हैं। आज भी जब वह पंवाड़ा शैली नृत्य नाटिका 'केदार' की प्रस्तुति देते हैं तो मन के तार झंकृत हो उठते हैं। शिवजनी प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के सामने भी केदार नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दे चुके हैं। तब उनकी उम्र महज 19 साल थी।

ढोल की थाप पर बड़े-बड़े को नचाने वाले शिवजनी को पंवाड़ा गायन में महारथ हासिल है। वर्ष 1956 की बात है, जब गणतंत्र दिवस के मौके पर नृत्य नाटिका केदार की प्रस्तुति देने के लिए उत्तराखंड से शिवजनी की टीम को दिल्ली आमंत्रित किया गया था। इसके बाद वर्ष 1966 में भी गणतंत्र दिवस पर उनकी टीम ने दिल्ली में प्रस्तुति दी। तब उनकी टीम में 26 सदस्य थे, जिनमें से अब तीन ही जीवित हैं। खास बात यह कि तब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा था और प्रदेश से सिर्फ शिवजनी की टीम का ही चयन हुआ था।
उत्तराखंड राज्य आंदोलन में भी शिवजनी ने अग्रणी भूमिका निभाई। आंदोलन के दौरान वह ढोल के साथ सात दिन जेल में भी रहे। आज भी शिवजनी का ढोल वादन और पंवाड़ा गायन युवाओं को आश्चर्य में डाल देता है। बकौल शिवजनी, ढोल के साथ पंवाड़ों के गायन में जो आनंद मिलता है, वह अवर्णनीय है। इस दौरान साक्षात देवदर्शन होने लगते हैं।
नई पीढ़ी को सिखा रहे यह विधा
पंवाड़ा गायन में नई पीढ़ी को पारंगत करने के लिए शिवजनी लगातार प्रयासरत हैं। सुरगंगा संगीत विद्यालय, नई टिहरी के निदेशक विकास फोंदणी बताते हैं कि शिवजनी के सहयोग से विद्यालय में युवाओं को पंवाड़ा गायन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बीते एक माह से चल रहे इस प्रशिक्षण में शहर के काफी युवा प्रतिभाग कर रहे हैं। इसके तहत युवाओं को नृत्य नाटिका 'केदार', 'माधो सिंह भंडारी' आदि में पारंगत किया जा रहा है। टिहरी के रंगकर्मी महिपाल सिंह नेगी कहते हैं कि पंवाड़ा विधा को जानने वालों की टीम तैयार की जा रही है, जिससे नई पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रख सके।
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