एक हैंडपंप के सहारे ढाई सौ की आबादी

थौलधार विकास खंड के ढरोगी गांव के निवासियों को गर्मियों में पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 03:00 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 06:12 AM (IST)
एक हैंडपंप के सहारे ढाई सौ की आबादी
एक हैंडपंप के सहारे ढाई सौ की आबादी

संवाद सूत्र, कंडीसौड़: थौलधार विकास खंड के ढरोगी गांव के निवासियों को गर्मियों में पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है। चार वर्ष पूर्व गांव से एक किलोमीटर दूर छाम-मैंडखाल मोटर मार्ग पर पेयजल विभाग ने हैंडपंप लगाया था, जिसके भरोसे ग्रामीण अपनी दैनिक जरूरत पूरी करने को मजबूर हैं।

ग्राम ढरोगी कंडीसौड़ की ऊंचाई वाली पहाड़ी पर स्थित है। लगभग 18 वर्ष पहले ग्राम कोशल के साथ आठ किलोमीटर लंबी पेयजल योजना बनी थी। इस पेयजल योजना से ढरोगी गांव तक प्रारंभ से ही पर्याप्त पानी नहीं पहुंचा। पिछले कुछ वर्षों से गर्मियों में ढरोगी गांव में पेयजल संकट बना रहता है। चार वर्ष पूर्व ग्रामीणों की मांग पर गांव से एक किलोमीटर दूर छाम-मैंडखाल मोटर मार्ग पर हैंडपंप स्थापित किया गया। वर्तमान में गर्मियों में या फिर पेयजल आपूर्ति ठप होने पर ढरोगी गांव के लगभग पचास परिवारों की ढाई सौ आबादी पूरी तरह हैंडपंप पर निर्भर रहती है। गर्मियों में भारी पेयजल संकट होने पर कुछ दिनों के लिए विभाग की ओर से टैंकर से पेयजल आपूर्ति का प्रयास किया जाता है, जो नाकाफी साबित होता है। कोविड 19 को लेकर हुए लॉकडाउन के बाद गांव में दो दर्जन से अधिक प्रवासी गांव लौटे हैं, लेकिन पेयजल समस्या को देखते हुए वह भी परेशान हैं। ग्राम प्रधान मुकेश रतूड़ी, ग्रामीण विनोद खंडूड़ी, बेदप्रकाश डिमरी का कहना है कि गांव के लिए अलग से पेयजल योजना का निर्माण ही गांव की पेयजल समस्या का स्थायी समाधान है। पेयजल संकट के कारण गांव से विगत वर्षों में भारी पलायन हुआ है। पेयजल संस्थान के अपर अभियंता जीसी सेमवाल का कहना है कि गांव के पास कोई स्रोत नहीं है। बड़ी योजना स्वीकृत होने पर ही स्थायी समाधान हो सकता है। कोशल से आपूर्ति बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। कभी-कभी टैंकर की व्यवस्था भी की जाती है। ग्रामीणों की मांग पर मोटर के लिए जिला योजना में प्रस्ताव दिया जाएगा।

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