उपेक्षा का शिकार त्रियुगीनारायण-केदारनाथ पैदल ट्रैक
संवाद सहयोगी रुद्रप्रयाग पौराणिक समय से चिरबटिया-त्रियुगीनारायण होते हुए केदारनाथ जाने वा
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: पौराणिक समय से चिरबटिया-त्रियुगीनारायण होते हुए केदारनाथ जाने वाल ट्रैक रूट अब समाप्ति की ओर है। साहसिक पर्यटन की दृष्टि से यह ट्रैक काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन इस पर अब नाममात्र के पर्यटक ही जा रहे हैं। ट्रैक को विकसित करने के लिए सरकार की ओर से कोई प्रयास नहीं किए गए। स्थानीय स्तर पर विभिन्न संगठनों ने प्रयास किए, जो सफल नहीं हो सके।
लगभग सौ वर्ष पूर्व गंगोत्री से केदारनाथ जाने के लिए टिहरी जनपद के घुत्तू से होते हुए जखोली विकास खंड के पंवालीकांठा बुग्याल से त्रियुगीनारायण लगभग 48 किलोमीटर दूरी तय कर पहुंचा जाता था। यहीं से गौरीकुंड होकर केदारनाथ भक्त दर्शन के लिए जाते थे। लगभग वर्ष 1940 के आसपास ऋषिकेश से श्रीनगर तक सड़क मार्ग बनने के बाद यात्री श्रीनगर से होते हुए गंगोत्री से बद्रीनाथ जाने लगे थे। इस पैदल मार्ग पर भले ही यात्रियों का आना-जाना कम हो गया हो, लेकिन बंगाली पर्यटक व विदेशी पर्यटक कुछ समय पूर्व तक बड़ी संख्या में जाते थे, लेकिन इस मार्ग की स्थिति अब काफी खराब व पूरा मार्ग खतरनाक होने से अब पर्यटक भी नाममात्र ही जा रहे हैं। अनदेखी से जनपद रुद्रप्रयाग व टिहरी की सीमा पर स्थित जखोली ब्लाक के सीमांत पर्यटन स्थल अभी सरकार की नजरों से ओझल बने है। इस क्षेत्र में पर्यटन, धार्मिक, आध्यात्म, साहसिक खेलों के लिए उपयुक्त है। प्राकृतिक नजारों से भरपूर यह क्षेत्र पैराग्लाइडिग, ट्रैकिग, पैरासोलिग, प्राकृतिक चिकित्सा, ईकों टूरिज्म जैसी विभिन्न विधाओं के अनुकूल है। क्षेत्र में पटागणिया, पवालीकांठा, क्वीणी, माटिया जैसे मनोहारी बुग्याल मौजूद हैं। साथ ही बधाणीताल जैसे धार्मिक स्थल भी यहां विद्यमान है। बावजूद इसके इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस क्षेत्र का बेहतर प्रचार प्रसार न होने से यह क्षेत्र पर्यटकों की पहुंच से आज भी दूर है। यहां कम संख्या में ही पर्यटकों की आवाजाही होती है। यह ट्रैक रूट 14 हजार फीट ऊंचाई से गुजरता है। साहसिक पर्यटन की ²ष्टि से भी यह काफी रोमांच भरा है।
इस ट्रैक को विकसित करने के लिए बीस साल से क्षेत्र के सामाजिक कार्यकत्र्ता डा. गुलाब सिंह राणा पटागणियां पर्यटन विकास समिति के बैनर तले स्वयं के प्रयासों से प्रत्येक वर्ष चिरबटिया-पंवाली होते हुए त्रियुगीनारायण-केदारनाथ ट्रैक पर स्थानीय व बाहरी व्यक्तियों के साथ ट्रैकिग करते थे, लेकिन किसी ने ट्रैक को विकसित करने का प्रयास नहीं किया और अब गुलाब सिंह राणा की उम्र 80 वर्ष से अधिक होने के कारण वह स्वास्थ्य समस्याओं के चलते इसका आयोजन नहीं कर पा रहे हैं। वह कहते हैं कि जखोली क्षेत्र को पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। यहां के पर्यटन स्थलों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ने के प्रयास होने चाहिए। तभी जाकर इस क्षेत्र में पर्यटन विकसित हो सकेगा, जिससे लोगों को रोजगार मिल सकेगा।
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सरकार की ओर से एक दल इन दिनों पौराणिक ट्रैक को विकसित करने के लिए ट्रैक रूटों पर जा रहा है। इसके बाद इनके विकसित करने की योजना सरकार से बनाई जाएगी।
सुनील नौटियाल
जिला पर्यटन अधिकारी, रुद्रप्रयाग
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