सोनप्रयाग ही रहेगा केदारनाथ यात्रा का मुख्य केंद्र

बृजेश भट्ट रुद्रप्रयाग सोनप्रयाग इस बार भी केदारनाथ यात्रा मुख्य केंद्र रहेगा। यहीं से केदार

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Apr 2019 03:00 AM (IST) Updated:Mon, 22 Apr 2019 06:30 AM (IST)
सोनप्रयाग ही रहेगा केदारनाथ यात्रा का मुख्य केंद्र
सोनप्रयाग ही रहेगा केदारनाथ यात्रा का मुख्य केंद्र

बृजेश भट्ट, रुद्रप्रयाग

सोनप्रयाग इस बार भी केदारनाथ यात्रा मुख्य केंद्र रहेगा। यहीं से केदारनाथ पैदल मार्ग समेत धाम में होने वाली सभी गतिविधियों पर प्रशासन नजर रखेगा। जून 2013 की आपदा से पूर्व गौरीकुंड यात्रा का मुख्य पड़ाव स्थल हुआ करता था, लेकिन आपदा के बाद से सोनप्रयाग ही समस्त गतिविधियों का केंद्र बनकर रह गया है।

केदारनाथ आपदा को आए छह वर्ष पूरे होने को हैं। आपदा से पूर्व केदारनाथ यात्रा का अंतिम एवं मुख्य पड़ाव स्थल गौरीकुंड हुआ करता था। तब यहीं से यात्रा संबंधी सभी गतिविधियां संचालित होती थीं। लेकिन, आपदा में गौरीकुंड कस्बा पूरी तरह तबाह हो गया और यहां पर दोबारा यात्रा व्यवस्थाएं नहीं जुटाई जा सकीं। नतीजा, यात्रा व्यवस्थाएं सोनप्रयाग से संचालित की जाने लगीं। यहां 65 करोड़ की लागत से बहुमंजिला पार्किंग के साथ शॉपिग कॉम्प्लेक्स भी बनाया गया है। बाहरी राज्यों से आने वाले यात्री वाहन यहीं पार्क होते हैं।

सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच पांच किमी मोटर मार्ग पर प्रशासन की ओर से छोटे वाहनों को परमिट दिया जाता है। ये वाहन यात्रियों को गौरीकुंड छोड़ने के बाद वापस सोनप्रयाग लौट जाते हैं। इसके अलावा गौरीकुंड में स्थान की कमी के कारण घोड़ा-खच्चर भी सोनप्रयाग में ही पड़ाव डालते हैं। यहां यात्रियों के लिए बॉयोमीट्रिक पंजीकरण की व्यवस्था है और राशन, सब्जी, रसोई गैस आदि सामग्री भी यहीं से केदारनाथ और पैदल मार्ग के यात्रा पड़ावों पर भेजी जाती है।

बता दें कि आपदा ने सोनप्रयाग से आगे भारी नुकसान पहुंचाया था। गौरीकुंड में बड़ी पार्किंग और सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच पूरा हाइवे बह गया था। आपदा के बाद केदारनाथ समेत अन्य यात्रा पड़ावों पर तो पुनर्निर्माण कार्य हुए, लेकिन गौरीकुंड की ओर ध्यान नहीं दिया गया। गौरीकुंड के पूर्व प्रधान मायाराम गोस्वामी बताते हैं गौरीकुंड केदारनाथ यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव रहा है। यहां तप्त कुंड में स्नान और गौरा माई मंदिर में दर्शनों के बाद ही यात्री केदारनाथ की पैदल यात्रा शुरू किया करते थे। गौरीकुंड के पूर्व व्यापार संघ अध्यक्ष महेश बगवाड़ी कहते हैं सरकारी स्तर पर हो रही उपेक्षा ने इस कस्बे को उजाड़ बना दिया है। इससे स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी भी प्रभावित हुई है। जबकि, गौरीकुंड से यात्रा व्यवस्था संचालित होने पर यात्री बाबा के दर्शन कर एक ही दिन में वापस लौट सकते हैं। वहीं, जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल कहते हैं कि यात्रा के दौरान यात्रियों को अधिक से अधिक सुविधाएं मिलें, इसके लिए कार्य किया जा रहा है। स्थानीय लोगों के हित भी प्रभावित नहीं होने दिए जाएंगे।

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