गौरीकुंड हाईवे पर स्लाइडिंग जोन जान पर पड़ रहे भारी

चारधाम परियोजना के तहत 76 किलोमीटर लंबे गौरीकुंड हाईवे पर एक दर्जन से अधिक स्लाइडिंग जोन बन गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 10:08 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 10:08 PM (IST)
गौरीकुंड हाईवे पर स्लाइडिंग जोन जान पर पड़ रहे भारी
गौरीकुंड हाईवे पर स्लाइडिंग जोन जान पर पड़ रहे भारी

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: चारधाम परियोजना के तहत 76 किलोमीटर लंबे गौरीकुंड हाईवे पर एक दर्जन से अधिक स्लाइडिंग जोन बन गए हैं। वहीं बारिश होने पर पूरे हाईवे में पहाड़ी से पत्थर गिरने का सिलसिला बना रहता है, जो आम मुसाफिरों की जान पर भारी पड़ रहे हैं। पिछले ढाई वर्ष में अब तक 21 व्यक्तियों की जान पहाड़ी से मलबा आने से जा चुकी है, जबकि चार दर्जन वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। वहीं बदरीनाथ हाईवे पर जिले के अंतर्गत दो स्लाइडिंग जोन हैं, जिसमें एक नरकोटा हाल में सक्रिय हुआ है, जबकि सिरोबगड़ अस्सी के दशक से पूरे क्षेत्र के लिए नासूर बना हुआ है।

चारधाम परियोजना के तहत रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड तक 76 किलोमीटर लंबे निर्माणाधीन गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर चौड़ीकरण कार्य के चलते पिछले दो वर्ष में एक दर्जन से अधिक नए डेंजर जोन विकसित हो गए हैं। जबकि पुराने और भी डेंजर जोन सक्रिय हैं। इसके साथ ही पूरे हाईवे पर बरसात के समय बोल्डर व मलबा गिरने का सिलसिला बना रहता है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर डेंजर जोन के ट्रीटमेंट करने की बात पिछले एक वर्ष से अधिक समय से कही जा रही है, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। इन दिनों बरसात के सीजन में यह हाईवे खतरनाक बन गया है। कई स्थानों पर पहाड़ी से आए दिन मलबा व पत्थर गिर रहे हैं, जिससे यातायात व पैदल आवाजाही को खतरा बना है।

यह हाईवे केदारनाथ यात्रा के साथ ही पूरी केदारघाटी की लगभग एक लाख आबादी के लिए लाइफ लाइन है। रुद्रप्रयाग से सोनप्रयाग के बीच रामपुर, नारायणकोटी, सिल्ली, सौड़ी, चंद्रापुरी, गबनी गांव, बांसवाड़ा, भीरी, मुनकटिया, बडासू, चंडिकाधार, सेमी और डोलिया मंदिर डेंजर जोन हैं।

हाईवे पर लगातार भूस्खलन से पिछले ढ़ाई साल में अब तक कई दर्दनाक दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। गत वर्ष सितंबर में फाटा के पास पहाड़ी से भूस्खलन के कारण एक जीप व दो मोटर साइकिल मलबे में दफन हो गए थे। इस घटना में छह व्यक्तियों की मौत हो गई थी। वहीं वर्ष 2018 दिसंबर में बांसवाड़ा से आगे हाईवे पर चारधाम परियोजना के कार्य कर रहे नौ मजदूर पहाड़ी से आए मलबे के कारण दब गए थे, इन सभी की मौत हो गई थी। गत 31 जुलाई को 2020 को भी संगम बाजार में एक व्यक्ति की मौत पहाड़ी से पत्थर गिरने के कारण हो गई थी। अगस्त 2020 में एक घटना में बांसवाड़ा में पहाड़ी से बोल्डर आने पर एक 17 वर्षीय युवक की मौत हो गई थी। इन घटनाओं के बाद भी सरकार सुध नहीं ले रही है। वहीं गत वर्ष अप्रैल महीने में ऊखीमठ मीटिग लेने गए राज्यमंत्री डॉ. धनसिंह रावत के वाहन पर भी पहाड़ी से पत्थर गिर गया था, इस दुर्घटना में मंत्री तो बाल-बाल बच गए थे, लेकिन वाहन क्षतिग्रस्त हो गया था। पिछले दो वर्ष में चार दर्जन से अधिक वाहन अब तक क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। बदरीनाथ हाईवे की बात करें तो सिरोबगड़ व नरकोटा स्लाइडिंग जोन से आम यात्रियों को भारी दिक्कत हो रही है। इसमें नरकोटा नया स्लाइडिंग जोन विकसित हुआ है। अब तक हुई बड़ी दुर्घटनाएं

-21 दिसंबर 2018 को बांसवाड़ा के पास पहाड़ी से मलबा आने से 9 मजदूर जिदा दफन।

-20 अक्टूबर 2019 को फाटा के पास मलबा आने से 8 व्यक्तियों की मौत।

-4 मार्च 2020 को नारायणकोटी के पास दुर्घटना में दो की मौत

-31 जुलाई 2020 को संगम बाजार में पत्थर गिरने से बाइक सवार की मौत

-3 अगस्त 2020 को बांसवाड़ा के पास हाईवे पर पत्थर गिरने से एक युवक की मौत डेंजर जोन का सर्वे हो चुका है। डीपीआर तैयार हो रही है। इसके बाद ही स्लाइडिंग जोन का ट्रीटमेंट कार्य किया जाएगा।

जितेन्द्र त्रिपाठी, अधिशासी अभियंता, नेशनल हाईवे गौरीकुंड, रुद्रप्रयाग

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