Chardham Yatra 2020: ओंकारेश्वर मंदिर में विराजे बाबा केदार, कल बंद होंगे मध्यमेश्वर के कपाट

Chardham Yatra 2020 केदारनाथ की उत्सव डोली गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर पहुंची। यहां भक्तों ने फूल और अक्षत से बाबा का स्वागत किया। रात्रि विश्रम के बाद बुधवार को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में पहुंचेगी।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 18 Nov 2020 09:55 AM (IST) Updated:Wed, 18 Nov 2020 09:55 AM (IST)
Chardham Yatra 2020: ओंकारेश्वर मंदिर में विराजे बाबा केदार, कल बंद होंगे मध्यमेश्वर के कपाट
आज ओंकारेश्वर मंदिर में विराजेंगे बाबा केदार।

रुद्रप्रयाग, जेएनएन। Chardham Yatra 2020 तीन दिन की डोली यात्रा के बाद बाबा केदार पंचगव्य स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हो गए हैं। अब आने वाले 6 महीनों तक भक्त बाबा के दर्शन यहीं पर कर सकेंगे।इससे पहलेे मंगलवार को केदारनाथ की उत्सव डोली गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर पहुंची। यहां भक्तों ने फूल और अक्षत से बाबा का स्वागत किया। रात्रि विश्रम के बाद बुधवार को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर केे लिए रवाना हुई। इसके बाद अगले छह महीने यहीं बाबा केदार की नित्य पूजाएं संपन्न होंगी। वहीं, द्वितीय केदार मध्यमेश्वर के कपाट 

केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद सोमवार को बाबा केदार की उत्सव डोली अपने पहले पड़ाव रामपुर पहुंची थी। इसके बाद फिर मंगलवार सुबह मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने पंचमुखी भोगमूर्ति को विशेष पूजा-अर्चना के बाद भोग लगाया। इस दौरान वहां उपस्थित भक्तों ने बाबा केदार का आशीर्वाद लिया। बाबा केदार के जयकारों के बीच डोली अगले पड़ाव गुप्तकाशी के लिए रवाना हो गई। मार्ग में जगह-जगह श्रद्धालुओं ने फूल और अक्षत से डोली का स्वागत भी किया, जिसके बाद शाम को डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंची।

द्वितीय केदार मध्यमेश्वर के कपाट कल होंगे बंद

पंचकेदारों में शामिल द्वितीय केदार भगवान मध्यमेश्वर के कपाट गुरुवार को वैदिक मंत्रोच्चर और पौराणिक रीति-रिवाजों के साथ शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। इसके बाद आगामी छह माह तक ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में नित्य पूजाएं संपन्न होंगी।

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उत्तराखंड देवास्थानम बोर्ड ने कपाटबंदी की तैयारियां शुरू कर दी हैं। विजयादशमी पर्व पर आचार्य, वेदपाठी, ब्राह्मण, हकहकूधारी और देवास्थनम बोर्ड के कर्मचारियों की मौजूदगी में पंचांग गणना के अनुसार द्वितीय केदार मध्यमेश्वर के कपाट बंद होने की तिथि तय हुई थी।

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