नमामि गंगा से बने घाट पालिका के लिए बने सिरदर्द

नमामि गंगे योजना के तहत नगर क्षेत्र रुद्रप्रयाग में करोड़ों रुपये की लागत से बने घाट नगर पालिका के लिए मुसीबत का सबब बन गए हैं। बरसात से इन घाटों में कई फीट ऊंची रेत लकड़ी व गंदगी की परत जमा हो जाती है। पालिका के पास घाटों को साफ करने के लिए न कोई योजना है और न ही पैसा।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 10:07 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 10:07 PM (IST)
नमामि गंगा से बने घाट पालिका के लिए बने सिरदर्द
नमामि गंगा से बने घाट पालिका के लिए बने सिरदर्द

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: नमामि गंगे योजना के तहत नगर क्षेत्र रुद्रप्रयाग में करोड़ों रुपये की लागत से बने घाट नगर पालिका के लिए मुसीबत का सबब बन गए हैं। बरसात से इन घाटों में कई फीट ऊंची रेत, लकड़ी व गंदगी की परत जमा हो जाती है। पालिका के पास घाटों को साफ करने के लिए न कोई योजना है, और न ही पैसा। मलबा व सल्ट भरे होने से यह घाट बेमानी हो गए हैं और सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं।

नगर मुख्यालय में नमामि गंगे योजना के तहत अलकनंदा व मंदाकिनी नदी पर चार स्थानों पर घाट बनाए गए हैं। इनमें अलकनंदा नदी पर पुराने विकास भवन के नीचे, बेलणी में हनुमान मंदिर के नीचे, जज कार्यालय के नीचे एवं संगम स्थल के पास यह घाट बनाए गए हैं। जबकि अलकनंदा-मंदाकिनी संगम स्थल पर घाट बनाया गया है। प्रत्येक बरसात में नदियों का जलस्तर बढ़ने से मलबा व रेत जमने के साथ ही घाट क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इन घाटों के निर्माण में कुल 12 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर टायल्स, रेलिंग, चैंजिंग रूम, व्यू प्वाइंट, सोलर लाइटें, बड़ी स्ट्रीट लाइटें, शवदाह गृह समेत कई कार्य शामिल हैं, लेकिन यह सभी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। नदियों में पानी बढ़ने के साथ ही उसमें बड़ी मात्रा में सिल्ट एवं रेत बहकर घाटों व उसके आसपास के स्थानों पर जमा हो गई है। चेंजिग रूम भी रेत से ढके हुए हैं। लेकिन इन घाटों को साफ करने की कोई योजना नगर पालिका के पास नहीं है।

इस संबंध में पिछले दो वर्षो से पालिका लगातार पत्राचार कर प्रशासन से घाटों से रेल व मलबा हटाने के लिए अनुरोध भी करती रही है, पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। रिवर ट्रेनिंग नियमावली के तहत भी मलबा हटाने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था, लेकिन वह भी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंच सकी।

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हर वर्ष बरसात के बाद घाट मलबा और रेत से भर जाता है। इसे हटाने के लिए लाखों की धनराशि चाहिए। इस संबंध में जिला प्रशासन से भी पत्राचार किया गया था। पालिका के पास ऐसा कोई बजट नहीं है, जिससे यह हटाया जाए। बजट मिलने पर ही इसे हटाया जा सकेगा।

सीमा रावत

अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका रुद्रप्रयाग

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