केदारनाथ धाम को पर्यटक स्थल बनाना चाहती है सरकार
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर के साथ रविवार को हुई बैठक में तीर्थ पुरोहितों ने
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर के साथ रविवार को हुई बैठक में तीर्थ पुरोहितों ने सरकार पर केदारनाथ धाम को पर्यटक स्थल बनाने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि यदि यात्री केदारनाथ आकर भी मंदिर में जलाभिषेक नहीं कर सकते तो फिर चारधाम यात्रा का औचित्य क्या है। वहीं, तीर्थ पुरोहितों ने हाल ही में उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के सदस्य मनोनीत किए गए तीन उद्योगपतियों के नाम के आगे 'भविष्य के दानदाता' शब्द लिख जाने पर भी कड़ा एतराज जताया। इसके अलावा आनलाइन पूजा करवाने को उन्होंने हक-हकूकधारियों के अधिकारों का हनन बताया। हालांकि, पर्यटन सचिव ने तीर्थ पुरोहितों को उनके हक सुरक्षित रखने का भरोसा दिलाया।
केदारनाथ धाम पहुंचे पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने केदारनाथ यात्रा व देवस्थानम बोर्ड समेत विभिन्न बिंदुओं पर तीर्थ पुरोहितों के साथ बैठक में चर्चा की। इस दौरान तीर्थ पुरोहितों ने देवस्थानम बोर्ड और उसमें मनोनीत किए गए सदस्यों के चयन का विरोध किया। इस पर पर्यटन सचिव जावलकर ने कहा कि पौराणिक परंपराओं से कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी, उनके हक-हकूक बरकरार रखे जाएंगे। पंच पंडा समाज के अध्यक्ष अमित शुक्ला ने कहा कि देवास्थनम बोर्ड मंदिर में आनलाइन पूजा करवा रहा है, जबकि पूजा करवाना और प्रसाद देना सिर्फ तीर्थ पुरोहितों का हक है। आनलाइन पूजा करवाकर बोर्ड उनके अधिकारों का हनन कर रहा है।
तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि यदि सरकार चारधाम यात्रा शुरू करती है तो श्रद्धालुओं को जलाभिषेक का अधिकार भी दिया जाए। यात्रा को पर्यटन बनाने की कोशिश कतई बर्दाश्त नहीं होगी। तीर्थ पुरोहित उमेश पोस्ती ने कहा कि धाम में मंदाकिनी घाट बनकर तैयार हो गया था, उस पर करोड़ों की रकम खर्च हुई। बावजूद इसके उसे तोड़कर दोबारा बनाया जा रहा है। तीर्थ पुरोहित अंकित सेमवाल ने केदारनाथ धाम में मेडिकल सुविधा उपलब्ध न होने पर सवाल उठाए। कहा कि यहां एक भी डाक्टर अभी तक तैनात नहीं हुआ है। इस मौके पर पंच पंडा समाज के पंकज शुक्ला, नवीन शुक्ला, प्रदीप शुक्ला, महेश प्रसाद बगवाड़ी, तेज प्रकाश त्रिवेदी, अशोक शुक्ला, अंकुर शुक्ला, संदीप शुक्ला आदि मौजूद रहे।
-------
उदक कुंड को लेकर भी विवाद
बैठक में तीर्थ पुरोहितों ने पौराणिक उदक कुंड को उसके मूल स्थान से हटाकर दूसरे स्थान पर बनाने का कड़ा विरोध किया। केदारनाथ आपदा में उदक कुंड भी दब गया था। इसके बाद शुरू हुए पुनर्निर्माण कार्यो की जद में आने के कारण उदक कुंड को मूल स्थान से हटाकर दूसरी जगह बना दिया गया। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि इससे उदक कुंड की पौराणिकता व महत्ता समाप्त हो गई है।