Kedarnath Tragedy 2013: आपदा की दृष्टि से काफी सुरक्षित हुई केदारपुरी, पूरी तरह बदल चुकी है केदारपुरी की तस्वीर

Kedarnath Tragedy 2013 आपदा के आठ वर्ष बाद केदारपुरी का नजारा पूरी तरह बदल चुका है। इस अंतराल में केदारपुरी जहां आपदा की दृष्टि से काफी सुरक्षित हो गई है वहीं यात्री सुविधाएं भी पहले से कहीं अधिक बेहतर हुई हैं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 08:28 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 08:28 AM (IST)
Kedarnath Tragedy 2013: आपदा की दृष्टि से काफी सुरक्षित हुई केदारपुरी, पूरी तरह बदल चुकी है केदारपुरी की तस्वीर
Kedarnath Tragedy 2013 आपदा के आठ वर्ष बाद केदारपुरी का नजारा पूरी तरह बदल चुका है।

बृजेश भट्ट, रुद्रप्रयाग। Kedarnath Tragedy 2013 आपदा के आठ वर्ष बाद केदारपुरी का नजारा पूरी तरह बदल चुका है। इस अंतराल में केदारपुरी जहां आपदा की दृष्टि से काफी सुरक्षित हो गई है, वहीं यात्री सुविधाएं भी पहले से कहीं अधिक बेहतर हुई हैं। आपदा के बाद शुरुआती दो वर्ष जरूर यात्रा फीकी रही, लेकिन बाद के वर्षों में उसने पुराने सभी रिकार्ड ध्वस्त कर दिए। वर्ष 2019 में पहली बार दस लाख से अधिक यात्री केदारनाथ दर्शनों को पहुंचे। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत होने वाले कार्य भी अब अंतिम चरण में हैं।

16-17 जून 2013 की तबाही के बाद यकीन नहीं हो पा रहा था कि निकट भविष्य में केदारनाथ यात्रा शुरू भी हो पाएगी। लेकिन, बीते आठ वर्षों में यात्रा ने जो गति पकड़ी, उससे सारी आशंकाएं निर्मूल साबित हुईं। खास बात यह कि आपदा के बाद केदारपुरी में सुविधाओं का तेजी से विकास हुआ। इससे देश-दुनिया में केदारनाथ यात्रा पूरी तरह सुरक्षित होने का संदेश भी गया।

आपदा में मंदाकिनी व सरस्वती नदी रुख मंदिर की ओर हो गया था। अब सरकार ने मंदिर के ठीक पीछे मंदकिनी व सरस्वती नदी पर 390 मीटर लंबी, 18 फीट ऊंची व दो फीट चौड़ी कंक्रीट की त्रिस्तरीय दीवार बनाई है। इसके अलावा मंदाकिनी व सरस्वती नदी पर सुरक्षा दीवार भी बनाई गई है। इससे भी धाम काफी सुरक्षित हो गया है।

आपदा में गौरीकुंड हाइवे रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड तक कई स्थानों पर पूरी तरह बह गया था। अब इसे आलवेदर रोड के तहत बनाया जा रहा है। इसके लिए कङ्क्षटग का कार्य पूरा हो चुका है। केदारपुरी में यात्रियों के ठहरने को पर्याप्त व्यवस्थाएं जुटाई गई हैं। अब यहां सात हजार यात्री रह सकते हैं। केदारनाथ पैदल मार्ग भी पहले के मुकाबले काफी अच्छा एवं सुरक्षित हो गया है। इसके लिए तीन से चार मीटर चौड़े इस मार्ग पर रेलिंग लगाई गई हैं। मार्ग पर लिनचोली, छोटी लिनचोली, रुद्रा प्वाइंट समेत कई पड़ाव विकसित कर यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था की गई है।

आपदा के बाद हेली सेवा का बढ़ा क्रेज

आपदा के बाद केदारनाथ के लिए हेली सेवा का क्रेज काफी बढ़ा है। इसी के मद्देनजर सरकार की ओर से हर साल हेली सेवा संचालित करने वाली 13 कंपनियों को उड़ान भरने की अनुमति दी जाती है। स्थिति यह है कि कुल यात्रा का दस से 15 फीसद यात्री हेली सेवा से केदारनाथ दर्शनों को पहुंचते हैं।

बीते वर्षों में यात्रा की तस्वीर वर्ष, कुल यात्री 2020, 132000 (कोरोना महामारी के कारण यात्रा एक जून से शुरू हुई) 2019, 1000021 2018, 772390 2017, 471235 2016, 349123 2015, 159340 2014, 39500

प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत हुए कार्य केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे 390 मीटर सुरक्षा दीवार का निर्माण मंदाकिनी व सरस्वती नदी पर घाट व चबूतरे का निर्माण केदारनाथ मंदिर परिसर में चौड़ीकरण कार्य और मंदिर के सामने 200 मीटर लंबे रास्ते का निर्माण तीर्थ पुरोहितों के घरों का निर्माण 400 मीटर लंबे अस्था पथ का निर्माण गरुड़चट्टी को केदारनाथ से जोड़ा गया। केदारनाथ में अत्याधुनिक सुविधायुक्त स्वास्थ्य सेवाएं शुरू केदारनाथ धाम में सात हजार यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था

अभी जो कार्य होने हैं आदि शंकराचार्य की समाधि छूटे तीर्थ पुरोहितों के घर गरुड़चट्टी से भीमबली तक पैदल मार्ग का निर्माण केदारनाथ मंदिर के पीछे ब्रह्मवाटिका का निर्माण

- मनुज गोयल (जिलाधिकारी, रुद्रप्रयाग) का कहना है कि केदारपुरी में यात्रियों के लिए सरकार की ओर से तमाम सुविधाएं जुटाई गई हैं। पैदल मार्ग पर भी यात्रियों के खाने-ठहरने के इंतजाम हैं। प्रधानमंत्री ने जिन योजनाओं का शिलान्यास किया था, उनमें से कई पर कार्य पूरा हो चुका है। शेष पर कार्य चल रहा है।

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