Kedarnath Dham: सात साल में निखरा केदारपुरी का रंग-रूप, ये निर्माण कार्य होने अभी बाकी

Kedarnath Dham प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत धीरे-धीरे हालात बदले और आज केदारपुरी नए रंग-रूप में निखरकर सामने आ चुकी है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Fri, 26 Jun 2020 08:10 AM (IST) Updated:Fri, 26 Jun 2020 11:15 AM (IST)
Kedarnath Dham: सात साल में निखरा केदारपुरी का रंग-रूप, ये निर्माण कार्य होने अभी बाकी
Kedarnath Dham: सात साल में निखरा केदारपुरी का रंग-रूप, ये निर्माण कार्य होने अभी बाकी

रुद्रप्रयाग, बृजेश भट्ट। Kedarnath Dham समुद्रतल से 11 हजार 657 फीट की ऊंचाई पर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम में जून 2013 में आई आपदा ने भारी तबाही मचाई थी। उच्च हिमालय में लगातार तीन दिन तक भारी बारिश के चलते तब केदारनाथ से तीन किमी ऊपर चौराबाड़ी ताल फट गया था। इस सैलाब ने न केवल विभिन्न राज्यों से पहुंचे 4700 श्रद्धालुओं का जीवन लील लिया था, बल्कि पूरी केदारघाटी के अस्तित्व को भी खतरे में डाल दिया था। केदारनाथ पैदल मार्ग पर स्थित रामबाड़ा कस्बे का तो नामोनिशान भी नहीं बचा, जबकि अनेक स्थानों पर सैकड़ों मकान, होटल, धर्मशालाएं आदि बह गए। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत धीरे-धीरे हालात बदले और आज केदारपुरी नए रंग-रूप में निखरकर सामने आ चुकी है।

बीते वर्षों में यात्रा जिस तरह नए कीर्तिमान गढ़ रही है, उससे लगता ही नहीं कि सात वर्ष पूर्व वहां ऐसी तबाही मची होगी। मगर 16-17 जून 2013 को आई आपदा के उस खौफनाक मंजर को याद कर आज भी रूह कांप जाती है। इस आपदा में केदारनाथ पैदल मार्ग पर स्थित रामबाड़ा चट्टी का नामोनिशान तक मिट गया था। यहां स्थानीय लोगों की 300 से अधिक दुकानें थी, जबकि केदारनाथ धाम, गौरीकुंड, सोनप्रयाग, चंद्रापुरी, विजयगनगर और सुमाड़ी कस्बे का 40 से 70 फीसद हिस्सा और गौरीकुंड हाईवे समेत केदारनाथ पैदल मार्ग का लगभग 80 फीसद हिस्सा सैलाब में समा गया था।

हालात बदले और आपदा के तीन माह बाद 20 सितंबर को यात्रा दोबारा शुरू कर दी गई। वर्ष 2015 में बुनियादी सुविधाओं के पटरी पर आने से यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी। गौरीकुंड तक हाईवे को दुरुस्त करने के साथ ही आपदा के दृष्टिगत केदारनाथ और अन्य स्थानों पर हेलीपैड बनाए गए। केदारघाटी में दो मोटर पुल और 17 पैदल पुलों का निर्माण किया गया।

वायु सेना के एमआइ-26 हेलीकॉप्टर से भारी-भरकम पोकलैंड, जेसीबी, डंफर आदि केदारपुरी पहुंचाकर वहां नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के सहयोग से बड़े पैमाने पर पुनर्निर्माण कार्य शुरू किए गए। धाम में पुनर्निर्माण कार्यों पर अब तक लगभग 400 करोड़ की धनराशि खर्च हो चुकी है, जिससे आज केदारपुरी की तस्वीर पूरी तरह बदली हुई नजर आती है।

केदारपुरी में हुए पुनर्निर्माण कार्य  आदि शंकराचार्य की समाधि के प्रथम चरण का निर्माण।  भीमबली में पैदल पुल का निर्माण।  मंदाकिनी नदी पर बाढ़ सुरक्षा कार्य।  भीमबली से केदारनाथ तक आठ किमी पैदल मार्ग का निर्माण।  केदारनाथ धाम में दो पुलों का निर्माण।  आपदा से केदारनाथ धाम में आए करोड़ों टन मलबे का निस्तारण।  तीर्थ पुरोहितों के लिए घरों का निर्माण।  धाम में यात्रियों के लिए 25 कॉटेज का निर्माण।  केदारनाथ में हाट बाजार के तहत 50 दुकानों का निर्माण।  सोनप्रयाग में मंदाकिनी नदी पर अमेरिकी तकनीक से लगभग 36 करोड़ के एक्रो ब्रिज का निर्माण।  सोनप्रयाग में बहुद्देश्यीय पार्किंग का निर्माण।  लिनचोली में यात्रियों के रहने के लिए कॉटेज का निर्माण।  केदारनाथ धाम की सुरक्षा के लिए तीन लेयर वाली (त्रिस्तरीय) सुरक्षा दीवार का निर्माण।  केदारनाथ में सरस्वती नदी पर घाट का निर्माण।  मंदाकिनी नदी पर घाट का निर्माण।  मंदाकिनी और सरस्वती नदी के संगम से केदारनाथ मंदिर तक 400 मीटर लंबे आस्था पथ का निर्माण।  केदारनाथ से गरुड़चट्टी तक तीन किमी लंबे पैदल मार्ग का निर्माण।  केदारनाथ में एमआइ-26 हेलीकॉप्टर के लिए हेलीपैड और मंदिर के पीछे वीवीआइपी हेलीपैड का निर्माण।  केदारनाथ पैदल मार्ग पर भीमबली, लिनचोली और जंगलचट्टी में आपदा प्रबंधन की दृष्टि से हेलीपैड का निर्माण। केदारनाथ मंदिर परिसर और मंदिर के सामने वाले पैदल मार्ग का चौड़ीकरण, चबूतरे का निर्माण।  रुद्रप्रयाग जिला समेत प्रदेश के 200 से अधिक महिला समूहों को प्रसाद योजना के तहत रोजगार मुहैया कराया।  केदारनाथ पैदल मार्ग पर स्थानीय युवाओं को दुकान आवंटित कर रोजगार से जोड़ा गया।  केदारनाथ धाम में सात हजार यात्रियों के रहने और खाने की व्यवस्था केदारनाथ में ब्रह्मवाटिका का निर्माण।  केदारनाथ की पहाड़ी पर ध्यान गुफाओं का निर्माण। 

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यह कार्य होने हैं शेष 15 करोड़ की लागत से आदि शंकराचार्य की समाधि का निर्माण।  15 करोड़ की लागत से प्लाजा, शॉपिंग कांप्लेक्स का निर्माण।  50 लाख की लागत से तीर्थ पुरोहितों के लिए घरों का निर्माण। 

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