ई-पास की बाध्यता के विरोध में बंद रही केदारघाटी

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा पर आ रहे विभिन्न राज्यों के यात्रियों को ई-पास की अनिवार्

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 05:34 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 05:34 PM (IST)

ई-पास की बाध्यता के विरोध में बंद रही केदारघाटी
ई-पास की बाध्यता के विरोध में बंद रही केदारघाटी

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा पर आ रहे विभिन्न राज्यों के यात्रियों को ई-पास की अनिवार्यता समाप्त करने की मांग को लेकर होटल एसोसिएशन, व्यापारियों, घोड़ा-खच्चर स्वामियों और मजदूरों की ओर से आयोजित बंद पूरी तरह सफल रहा। हालांकि जरूरी सेवाएं व दवा की दुकानें खुली रही।

सोमवार को केदारघाटी में ई-पास के विरोध में संपूर्ण केदारघाटी में बंद का आह्वान किया गया था, जिसका भारी असर हुआ। गुप्तकाशी, ऊखीमठ, रामपुर, सीतापुर, सोनप्रयाग, गौरीकुंड, फाटा समेत यात्रा मार्ग पर सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। सुबह से ही बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा। इससे यात्रा पर आए यात्रियों को भी परेशानी झेलनी पड़ी।

व्यापारियों ने अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को बंद रखे। इसमें घोड़ा-खच्चर संचालकों, होटल व्यवसायियों, ढाबा स्वामियों ने पूर्ण समर्थन दिया। केदारघाटी के सभी व्यवसायियों की सरकार से ई-पास की अनिवार्यता को समाप्त करने की है। पर्यटकों को केदारघाटी क्षेत्र में आने दिया जाए। सोनप्रयाग में प्रदर्शन भी किया गया। होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम गोस्वामी की अध्यक्षता में यह बंद का आयोजन किया गया था। एसोसिएशन के सचिव नितिन जमलोकी ने बताया कि तहसीलदार उखीमठ के माध्यम से ई-पास की अनिवार्यता को समाप्त करने को लेकर ज्ञापन दिया गया। साथ ही चेतावनी दी गई कि यदि शीघ्र कोई निर्णय इस संबंध में नहीं लिया जाता है, तो सभी केदारघाटी के व्यवसायी बड़े आंदोलन को मजबूर होंगे। जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवाड़ी व कनिष्क प्रमुख ऊखीमठ शैलेंद्र कोटवाल भी आंदोलन के समर्थन में सोनप्रयाग पहुंचे।

इस अवसर पर होटल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष प्रमोद नौटियाल, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य त्रियुगीनारायण रामचंद सेमवाल, प्रधान कविल्ठा अरविद सिंह राणा, घोड़ा-खच्चर संगठन के अध्यक्ष अनूप गोस्वामी, अशोक कुनियाल, अंकित भट्ट, महेंद्र सेमवाल एवं बड़ी संख्या में होटल व्यवसायी घोड़ा-खच्चर संचालक मजदूर सोनप्रयाग में प्रदर्शन के दौरान मौजूद थे।

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