जाखराजा ने दहकते अंगारों में किया नृत्य

संवाद सूत्र, गुप्तकाशी: केदारघाटी के जाखधार में लगने वाले पौराणिक जाख मेले में जाखराजा ने दहकते अंगा

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 10:19 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 10:19 PM (IST)
जाखराजा ने दहकते अंगारों में किया नृत्य
जाखराजा ने दहकते अंगारों में किया नृत्य

संवाद सूत्र, गुप्तकाशी: केदारघाटी के जाखधार में लगने वाले पौराणिक जाख मेले में जाखराजा ने दहकते अंगारों में नृत्य कर भक्तों को आशीर्वाद दिया। इस अलौकिक शक्ति के दर्शन कर भक्तों की आंखें नम हो गई। नृत्य की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। अंत में भक्त अंगारे की राख को प्रसाद के रूप में अपने घरों को ले गए।

जाख मेला समिति के तत्वावधान में चलने वाला जाख मेला क्षेत्र के कोठेड़ा, नारायणकोटी व देवशाल समेत क्षेत्र के 14 गांवों की आस्था से जुड़ा है। मेला शुरू होने से दो दिन पूर्व कोठेड़ा और नारायणकोटी के भक्तजन पौराणिक परंपरानुसार नंगे पांव जंगल में जाकर लकड़ियां एकत्रित कर जाख मंदिर लाए। बीती बुधवार रात्रि को जाखधार में कोठेड़ा व नारायणकोटी के भक्तों की ओर से एकत्रित लगभग 80 कुंतल लकड़ियों से अग्निकुंड तैयार किया गया। इसके बाद रात को मंदिर के मुख्य पुजारी ने क्षेत्र के चारों दिशाओं की पूजा-अर्चना कर अग्निकुंड में अग्नि प्रज्वलित की। इसके बाद नारायणकोटी, कोठेड़ा, देवशाल की ओर से तैयार सामूहिक भोज किया गया। मंदिर में पुजारी ने रात्रिभर चार पहर की पूजा-अर्चना के साथ ही भक्तों की ओर से जागरण कर कीर्तन-भजनों का आयोजन किया। साथ ही जाखराजा के लिए अंगारे तैयार किए गए। गुरुवार को कोठेड़ा से जाख देवता के पश्वा, देवता के निशान को गाजे-बाजों के साथ जाखधार मंदिर लाया गया। यहां उपस्थित भक्तों के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। जाखधार पहुंचने पर पहले जाखराजा अपने निश्चित स्थान पहुंचे, जहां कुछ देर विश्राम के बाद गंगाजल से स्नान किया। इसके बाद ढोल सागर की थाप पर नर रूप में देवता अवरित हुए और जाखराजा ने अग्निकुंड में दहकते अंगारों में प्रवेशकर काफी देर तक नृत्य कर वहीं से भक्तों को आशीर्वाद भी दिया। मेले में हिस्सा लेने के लिए गुप्तकाशी, ल्वारा, लमगौडी, नारायणकोटी, नाला, देवली भणिग्राम, रुद्रपुर, कालीमठ समेत घाटी के विभिन्न गांवों के साथ ही जिले के दूरदराज क्षेत्रों से बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई थी। मेला संपन्न होने के बाद भक्त अंगारों से तैयार राख को प्रसाद के रूप में अपने घरों को ले गए। इस अवसर पर हर्षवर्धन देवशाली, नवीन देवशाली, महेंद्र देवशाली, हरिओम देवशाली, प्रियधर भट्ट, उत्तम भट्ट, आनंदमणि सेमवाल, गणेश शुक्ला, सतीश, विनोद देवशाली आदि उपस्थित थे।

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