भरदार के गांवों में गहराया पेयजल संकट
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: गर्मी शुरू होते ही जिले के भरदार क्षेत्र में विभिन्न गांवों में पेयजल का
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: गर्मी शुरू होते ही जिले के भरदार क्षेत्र में विभिन्न गांवों में पेयजल का संकट गहराना शुरू हो गया है। कहीं पेयजल लाइनें क्षतिग्रस्त होने से पानी की आपूर्ति ठप है, तो कहीं इस बार बारिश काफी कम होने से ग्रामीण क्षेत्रों के प्राकृतिक स्रोतों पर पानी 75 फीसदी तक कम हो चुका है। जिससे क्षेत्रीय ग्रामीणों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है।
वैसे तो भरदार क्षेत्र के अधिकांश गांवों में वर्षभर पानी की किल्लत बनी रहती है, लेकिन गत सितम्बर माह से अभी तक काफी कम मात्रा में बारिश हुई। जिससे गाड़-गदेरों में पानी का स्त्राव कम हो गया है। इस समस्या के कारण जलसंस्थान की योजनाओं पर बुरा प्रभाव पड़ा है। भरदार क्षेत्र के डुंगरी, स्वीली, दरमोला, घेंघड़खाल, जवाड़ी, रौठिया, क्वीलाखाल समेत विभिन्न गांवों में जनता बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही हैं। इन गांवों में स्थापित प्राकृतिक स्रोतों पर पानी की मात्रा काफी कम हो गई है। जिससे ग्रामीणों का एक चालीस लीटर ड्रम भरने में घंटों लग रहे है। यहीं नहीं दरमोला, स्वीली, डुंगरी को जोड़ने वाली मठियाणगढ़ पेयजल योजना भी पिछले एक सप्ताह से क्षतिग्रस्त पड़ी हुई है। सड़क मार्ग के गांव तो हैंडपंपों के सहारे अपना जीवन काट रहे है, लेकिन सड़क से दूर वाले ग्रामीणों को दो चार होना पड़ रहा है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो जलसंस्थान के अधिकांश पेयजल स्रोतों पर 70 फीसदी से अधिक पानी कम हो चुका है। हालात यही रहे तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। जलसंस्थान की ओर से वर्तमान में घेंघड़खाल, क्वीलाखाल, चोपता, दुर्गाधार समेत विभिन्न क्षेत्रों में टैंकरों से पेयजल आपूर्ति की जा रही है। इसके अलावा अन्य स्थानों पर भी पानी पहुंचाने के लिए टैंकरों की व्यवस्था की जा रही है। स्वीली की पूर्व प्रधान रीना रावत, पूर्व क्षेपंस गुड्डी देवी ने बताया कि भरदार क्षेत्र में पानी की समस्या होने से लोगों को पीने तक का पानी नसीब नहीं हो रहा है। पेयजल लाइन बार-बार क्षतिग्रस्त होने से ग्रामीणों को कई दिक्कतें उठानी पड़ रही है। उन्होंने जल संस्थान से टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति करने की मांग की है।
जल संस्थान के अधिशासी अभियंता संजय सिंह का कहना है कि पिछले पांच माह से अधिक समय से बारिश नाममात्र होने से सबसे ज्यादा असर पेयजल स्रोतों पर पड़ा है। अधिकांश जलस्रोतों पर पानी की मात्रा काफी घट चुकी है। समय से बारिश नहीं हुई तो हालात गंभीर हो सकते हैं। अभी पांच टैंकरों से जिले के विभिन्न स्थानों पर जलापूर्ति की जा रही है। पेयजल संकट वाले अन्य स्थानों के लिए भी टैंकरों की व्यवस्था की जा रही है।