डीएम ने कृषि विज्ञान जाखधार का किया निरीक्षण
कृषि विज्ञान केन्द्र जाखधार की मदद से भले ही किसान नवीन तकनीकी से कृषि उत्पादन कर रहे हो लेकिन किसानों के लिए खरपतवार सबसे बड़ा सर दर्द बन रहा हैं। किसान फसल को बचाने के लिए निराई गुड़ाई के बजाय प्लास्टिक मल्चिग करे तो यह फसल के लिए काफी कारगर होगा।
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: कृषि विज्ञान केन्द्र जाखधार की मदद से भले ही किसान नवीन तकनीकी से कृषि उत्पादन कर रहे हो, लेकिन किसानों के लिए खरपतवार सबसे बड़ा सर दर्द बन रहा हैं। किसान फसल को बचाने के लिए निराई गुड़ाई के बजाय प्लास्टिक मल्चिग करे तो, यह फसल के लिए काफी कारगर होगा।
किसान विज्ञान केन्द्र का निरीक्षण करते हुए जिलाधिकारी वंदना सिंह ने बताया कि पहाड़ में कृषकों में खेतों की जोत का आकार बहुत छोटा होता है। उपलब्ध जोत से ही कृषकों की आय में वृद्धि की जाए, इसके लिए उत्पाद का मूल्य संवर्धन आवश्यक है। इसके साथ ही उत्पाद की लैब टेस्टिग की जाए, जिससे उत्पाद की विशेषता व अवस्थित गुणों के बारे में उपभोक्ताओं को बताया जा सके।
केन्द्र वैज्ञानिक डॉ. संजय सचान ने सभी कृषकों से खेत के चारों और गेंदे की खेती करने को कहा। इससे खेत में उग रही सब्जी व अन्य चीजें कीटों से सुरक्षित रहती है। उन्होंने कृषकों से मल्चिग विधि से सब्जी का उत्पादन करने की बात कही।
क्या है प्लास्टिक मल्चिंग :
जब खेत में लगाए गए पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक फिल्म द्वारा अच्छी तरह ढक दिया जाता है, तो इस विधि को प्लास्टिक मल्चिग कहा जाता है। यह फिल्म कई प्रकार रंगों में उपलब्ध होती है। इस तकनीक से खेत में पानी की नमी को बनाए रखने और वाष्पीकरण रोका जाता है। यह तकनीक खेत में मिट्टी के कटाव को भी रोकती है और खेत में खरपतवार को होने से बचाया जाता है। बागवानी में होने वाले खरपतवार नियंत्रण एवं पौधों को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने में बहुत सहायक होती है। इस अवसर पर वैज्ञानिक डॉ. डीके चौरसिया, सीडीओ मनविदर कौर, डीएचओ योगेंद्र सिंह, सीएओ सुघर सिंह वर्मा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। फोटो-2आरडीपीपी-1