केदारनाथ आपदा के सात वर्षों में बदल गई देवलीभणी गांव की तस्वीर
केदारघाटी के ऊखीमठ ब्लॉक में स्थित देवलीभणी ग्राम की तस्वीर आपदा के सात वर्ष बाद पूरी तरह बदली चुकी है।
रुद्रप्रयाग, जेएनएन। केदारघाटी के ऊखीमठ ब्लॉक में स्थित देवलीभणी ग्राम की तस्वीर आपदा के सात वर्ष बाद पूरी तरह बदली चुकी है। वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा में अपना सब-कुछ गंवाने के बाद असहाय हो चुकी गांव की महिलाएं अब आत्मनिर्भर हो परिवार की आर्थिकी की धुरी बन गई हैं। इसमें सरकार के साथ ही निजी संस्थानों ने भी उनकी मदद की।
केदारनाथ आपदा में 1250 की आबादी और 150 परिवारों वाला देवलीभणी ग्राम सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था। आपदा में गांव के 54 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 33 महिलाओं को अपना सुहाग खोना पड़ा। परिवार के कमाऊ व्यक्ति के चले जाने से पीड़ित महिलाओं के कंधों पर दोहरी जिम्मेदारी आ गई। लेकिन, इन महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी और सरकारी मदद के साथ स्वयं सेवी संस्थाओं के सहयोग से परिस्थितियों का डटकर मुकाबला किया। आज यह सभी महिलाएं अपने पैरों पर खड़े होने के साथ ही परिवार को भी संबल दे रही हैं।
देवलीभणी ग्राम के अधिकांश परिवारों की रोजी केदारनाथ यात्रा से ही चलती थी। लेकिन, आपदा में अपने कमाऊ सदस्यों को गंवाने के बाद ये सभी परिवार सड़क पर आ गए। ऐसे में गांव के ही डॉ. हरिकिशन बगवाड़ी ने मंदाकिनी बुनकर समिति के माध्यम से विधवा महिलाओं को कताई-बुनाई व सिलाई का निश्शुल्क प्रशिक्षण दिलाया। इसके अलावा प्रभावितों को कंप्यूटर का प्रशिक्षण भी दिया गया। आज गांव की महिलाएं बुनकर समिति से जुड़कर महीने में चार हजार रुपये से अधिक कमा लेती हैं।
आपदा में पति को खो चुकी 40-वर्षीय रीता देवी कहती हैं कि स्वरोजगार से जुड़ने के बाद उनका जीवन के प्रति नजरिया भी बदला है। इसी तरह 31-वर्षीय पूनम देवी कहती हैं कि गांव की सभी महिलाओं ने हिम्मत के साथ कार्य किया और आज सभी आत्मनिर्भर हैं। गांव सड़क मार्ग से जुड़ चुका है और समय-समय पर यहां स्वास्थ्य शिविर भी आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा नियमित रूप से ग्रामीणों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी दी जाती है। सिंचाई, स्वास्थ्य, मनरेगा आदि विभागों ने गांव के लिए कई योजनाएं बनाई हैं।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में साल 2013 में आई आपदा के भरे जख्म, अब कोरोना ने थामे कदम
खंडूड़ी ने लिया था गांव को गोद
तत्कालीन गढ़वाल सांसद भुवन चंद्र खंडूड़ी ने देवलीभणी ग्राम को गोद लेकर गांव के विकास को कई कार्य किए। उन्हें के प्रयासों से गांव तक सड़क पहुंची। पर्यटन विभाग की ओर से गांव में सुंदरीकरण कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा प्रत्येक पीड़ित परिवार को एक हजार रुपये मासिक पेंशन भी दी जाती है।
यह भी पढ़ें: आपदा के बाद केदारनाथ यात्रा ने छुई नई ऊंचाइयां, नए-पुराने सारे रिकॉर्ड हुए ध्वस्त