चौड़ीकरण के विवाद से सिरोबगड़ बाईपास का निर्माण लटका
पहले ग्रामीणों के विरोध और अब सड़क चौड़ीकरण के विवाद के चलते सिरोबगड़ बाईपास का निर्माण अधर में लटका पड़ा है। इस बाईपास का निर्माण दिसंबर 2021 तक पूरा होना था जिसकी अवधि केंद्र सरकार ने बढ़ाकर अब मई 2022 कर दी गई है। हालांकि इस अवधि में भी बाईपास का निर्माण पूरा होना संभव नहीं दिख रहा।
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: पहले ग्रामीणों के विरोध और अब सड़क चौड़ीकरण के विवाद के चलते सिरोबगड़ बाईपास का निर्माण अधर में लटका पड़ा है। इस बाईपास का निर्माण दिसंबर 2021 तक पूरा होना था, जिसकी अवधि केंद्र सरकार ने बढ़ाकर अब मई 2022 कर दी गई है। हालांकि इस अवधि में भी बाईपास का निर्माण पूरा होना संभव नहीं दिख रहा। कारण, सड़क चौड़ीकरण को लेकर वाद हाईकोर्ट नैनीताल में चल रहा है, जिसके फैसले के बाद ही निर्माण कार्य पुन: शुरू हो सकेगा।
बदरीनाथ हाईवे पर अस्सी के दशक से सुर्खियों में रहे सिरोबगड़ स्लाइडिंग जोन के विकल्प के रूप में केंद्र सरकार ने वर्ष 2018 में 126 करोड़ की लागत से 3.72 किलोमीटर लंबे सिरोबगड़ बाईपास के निर्माण की स्वीकृति दी थी। वर्तमान में सड़क कटिंग का कार्य नहीं हो सका है। सिर्फ पुलों का निर्माण कार्य चल रहा है, जिनमें से एक पुल के निर्माण के लिए तो खोदाई भी शुरू नहीं हो सकी है। एक पुल के दो बीम बन चुके हैं, जबकि एक दूसरे पुल के लिए खोदाई का काम चल रहा है। फिलहाल बाईपास के लिए 35 प्रतिशत काम ही हो सका है, हालांकि विलंब का मुख्य कारण सिरोबगड़ बाईपास के तहत खांकरा के पास बन रहे दो प्रस्तावित पुलों का विरोध रहा। खांकरा के ग्रामीणों का आरोप था कि इस बाईपास के बनने से बदरीनाथ हाईवे पर स्थित खांकरा कस्बा पूरी तरह चारधाम यात्रा से कट जाएगा, जिससे यहां बने होटल और लाज के व्यापारियों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। ग्रामीणों के विरोध के चलते ही प्रस्तावित पुलों के निर्माण कार्य में विलंब हुआ। इस बीच न्यायालय ने हाईवे पर कटिग कार्यो से वन क्षेत्र को हो रहे नुकसान के चलते खोदाई पर रोक लगाते हुए हाई पावर कमेटी गठित की है, जिसकी स्वीकृति के बाद ही खोदाई के कार्य संभव हो सकेंगे।
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सिरोबगड़ बाईपास का निर्माण कार्य इन दिनों केवल ब्रिज पर चल रहा है। सड़क मार्ग की चौड़ाई को लेकर न्यायालय में सुनवाई चल रही है। जो भी निर्देश जारी होंगे, उसके तहत ही सड़क मार्ग की चौड़ाई रखी जाएगी। फिलहाल तय समय पर कार्य पूरा होना संभव नहीं है।
अनिल बिष्ट
सहायक अभियंता, नेशनल हाईवे लोनिवि शाखा, गौरीकुंड हाईवे