अपना दर्द भूल कर मरीजों की सेवा में जुटी आरती

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग : जिला चिकित्सालय में कार्यरत स्टाफ नर्स आरती जोशी मुश्किल घड़ी में भी अ

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 03:00 AM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 03:00 AM (IST)
अपना दर्द भूल कर मरीजों की सेवा में जुटी आरती
अपना दर्द भूल कर मरीजों की सेवा में जुटी आरती

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग :

जिला चिकित्सालय में कार्यरत स्टाफ नर्स आरती जोशी मुश्किल घड़ी में भी अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदारी से कार्य कर रहीं हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि सबसे पहले अपना फर्ज है और परिवार उसके बाद। पथरी की पीड़ा से जूझ रही आरती का गत 20 अप्रैल को आपरेशन होना तय था। लेकिन, कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने पर अपनी आपरेशन की डेट कैंसिल कर दी। इस मुश्किल घड़ी में निर्णय लिया कि वह कोरोना मरीजों की सेवा जारी रखेंगी। और पिछले एक महीने से कोटेश्वर में कोरोना मरीजों की सेवा में जुटी हैं।

जनपद के साथ पूरे देश में कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों के चलते प्रत्येक स्वास्थ्यकर्मी की भूमिका महत्वपूर्ण हैं। सभी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इस महामारी को हराने में जुटे हैं। जिला चिकित्सालय में तैनात नर्स आरती जोशी ऋषिकेश की रहने वाली हैं। वह दो बेटियों की मा हैं और वर्ष 2019 से जिला अस्पताल में आइसीटीसी डिपार्टमेंट में संविदा पर स्टाफ नर्स की रूप में कार्य कर रही हैं।

जिला अस्पताल रुद्रप्रयाग में डॉक्टर व स्टाफ के साथ ही संसाधनों की कमी के चलते कोरोना के इस संक्रमण काल में स्वास्थ्य कर्मियों का कार्य काफी बढ़ गया है। अस्पताल के अधिकांश डॉक्टर व स्टाफ कोरोना संक्रमित हो चुका है। आरती जोशी आइसीटीसी डिपार्टमेंट की स्टाफ नर्स होने की बावजूद स्टाफ की कमी की चलते अस्पताल में अन्य नियमित उपचारिकाओं की भांति ही कोविड में अहम सेवाएं दे रहीं हैं जबकि वे इसके लिए बाध्य नहीं हैं। आरती जोशी की पति प्रसिद्ध समाजसेवी लोकसंस्कृति कर्मी कमल जोशी ने बताया की आरती स्वयं पिछले कई दिनों से अस्वस्थ है। उन्हें किडनी में पथरी हुई है जिससे उन्हें बहुत पीड़ा रहती है व किडनी में सूजन है। बीते 20 अप्रैल को निर्मल हॉस्पिटल ऋषिकेश में ऑपरेशन होना था, जिसके लिए उन्हें दस दिन की अवकाश में रहना था, लेकिन कोविड में ड्यूटी लगने पर और स्टाफ की कमी को देखते हुए आरती ने ऑपरेशन के लिए अवकाश न लेने का निश्चय किया। आरती का कहना है की इस समय चिकित्सालय को मेरी सेवाओं की सर्वाधिक आवश्यकता है ऐसे में मैं अपने उपचार के लिए अवकाश पर नहीं जा सकती। जब राष्ट्र इतनी बड़ी महामारी से गुजर रहा है तो कुछ दिन पथरी की थोड़ी पीड़ा मै भी सहन कर सकती हूं। इसी सेवा भाव व समर्पण की चलते स्टाफ नर्स आरती जोशी पथरी की पीड़ा सहते हुए भी कोविड की इस चुनौती में अपनी सेवाएं दे रहीं है। वह कोविड सैंपलिंग में ड्यूटी कर रही हैं। अपनी छोटी पांच व आठ साल की बेटियों की देखरेख के लिए उन्होंने अपनी मां संगीता भट्ट व पिता दयानंद को रुद्रप्रयाग बुलाया है। ताकि ड्यूटी में किसी प्रकार की दिक्कत न हो।

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