रतुवा की चपेट में पिथौरागढ़ जिले में गेहूं की फसल
शीतकाल में कम बारिश गेहूं की फसल पर भारी पड़ गई है। घाटी वाले इलाकों में गेहूं की फसल रतुवा रोग की चपेट में हँै।
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: शीतकाल में कम बारिश गेहूं की फसल पर भारी पड़ गई है। घाटी वाले इलाकों में फसल पीला रतुवा रोग की चपेट में आ गई है। इससे 90 फीसद फसल के बर्बाद होने की आशंका है।
भारत नेपाल सीमा की काली नदी घाटी में गेहूं की फसल सर्वाधिक होती है। झूलाघाट से लेकर धारचूला तक तमाम काश्तकार खेती से ही अपनी आजीविका चलाते है। इस क्षेत्र में गेहूं और धान की फसल मुख्य उत्पादन है। इस वर्ष शीतकाल में बारिश बेहद कम हुई है, जिसके चलते पूरे घाटी क्षेत्र में गेहूं की फसल पीली पड़ गई है। फसल की ग्रोथ रुक गई है। बलुवाकोट क्षेत्र के काश्तकार एवं उन्नतशील काश्तकार चंचल सिंह ऐरी ने इस संबंध में कृषि विभाग को जानकारी दी। कृषि अधिकारी ने गांवों में पहुंचकर फसलों का मुआयना करने के बाद बताया कि फसल पीला रतुवा की चपेट में आ रही है। इसका मुख्य कारण पानी की कमी है। इस रोग में फसल पीली पड़ जाने के साथ ही ग्रोथ थम जाती है। फसल के बीमारी की चपेट में आने से किसान परेशान हैं।
काश्तकार ऐरी ने बताया कि पिछले वर्ष सितंबर माह में भारी ओलावृष्टि से पूरे घाटी क्षेत्र में धान की फसल बर्बाद हो गई थी। कृषि, उद्यान और राजस्व विभाग की टीम ने क्षति का आंकलन कर 78 प्रतिशत फसल बर्बाद होने की रिपोर्ट दी थी, लेकिन छह पांच माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी प्रभावित किसानों को मुआवजा नहीं मिला है। इधर अब गेहूं की फसल के बर्बाद हो जाने से किसानों के समक्ष गंभीर आर्थिक संकट पैदा हो जाने की आशंका है। क्षेत्रवासियों ने धान की फसल की क्षतिपूर्ति के साथ ही गेहूं की फसल के नुकसान का भी सर्वे कराए जाने की मांग प्रशासन से की है। ========= घाटी वाले क्षेत्रों में गेहूं की फसल में पीलापन आने कीे सूचना मिली है। फसलों में पीला रतुवा रोग की आशंका है। क्षेत्र में कृषि विभाग की टीम भेजी जाएगी।
- चंद्र सिंह धामी, कृषि अधिकारी, धारचूला