ग्रामीणों ने ज्योलिंगकोंग मंदिर के रखरखाव का प्रस्ताव ठुकराया
धारचूला स्थित आदि कैलास ज्योलिंगकोंग मंदिर के रखरखाव के लिए भारत तिब्बत सीमा पुलिस के प्रस्ताव को ग्रामीणों ने ठुकरा दिया है।
संवाद सूत्र, धारचूला : आदि कैलास ज्योलिंगकोंग मंदिर के रखरखाव के लिए भारत तिब्बत सीमा पुलिस के प्रस्ताव को ग्रामीणों ने ठुकरा दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि ज्योलिंगकोंग का शिव मंदिर अनादि काल से उनका है। भगवान शिव उनके आराध्य हैं। मंदिर के रखरखाव का दायित्व भी ग्रामीणों का है।
चीन सीम से लगी व्यास घाटी के अंतिम भारतीय गांव कुटी के ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को इस बाबत ज्ञापन भेजा है। ग्रामीणों का कहना है कि अनादि काल से जब गांव अस्तित्व में आया, तब से उनके पूर्वजों ने चीन सीमा पर सीमा प्रहरी के रू प में कार्य किया है। नम्पा से लेकर वेलिश्या तक खेती की है साथ ही वनों की भी रक्षा की है। आज भी इन सबकी देखभाल कुटी के ग्रामीण करते हैं।
ग्रामीणों ने कहा है कि उनके आराध्य देव भगवान शिव हैं। सदियों पूर्व उनके पूर्वजों ने ज्योलिंगकोंग में शिव मंदिर बनाया, जहां नियमित रू प से वे पूजा करते आए हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर कुटी के गा्रमीण यहां भव्य पूजा और औरात करते हैं। इस आयोजन में व्यास घाटी के सभी सात गांवों के ग्रामीण भाग लेते हैं। इस दौरान सभी के रहने की व्यवस्था के साथ लंगर लगाया जाता है।
ग्रामीणों ने कहा है कि आइटीबीपी के उप महानिरीक्षक द्वारा देहरादून में मुख्यमंत्री से मिलकर आदि कैलास ज्योलिंगकोंग के मंदिर का रखरखाव बल द्वारा किए जाने का प्रस्ताव दिया है। ग्रामीणों के मुताबिक यह न्यायोचित नहीं है। ग्रामीण इसका पुरजोर विरोध करते हैं। ग्रामीणों ने कहा है कि वे अपने देवस्थल और पार्वती ताल की देखभाल और रखरखाव करते आए हैं और करते रहेंगे। सीएम से आइटीबीपी के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करने की मांग की है।